डाल्टनगंज. झारखंड के बेतला राष्ट्रीय उद्यान में सोमवार (18 जनवरी) देर रात दो जंगली हाथियों ने जंजीर से बंधे चालीस वर्षीय पालतू हाथी को दांत घोंपकर मार डाला. हालांकि, इस दौरान उन्होंने बाड़े में बंधी चार हथिनियों से कुछ भी नहीं कहा. राष्ट्रीय उद्यान में हाथियों के हमले से हड़कंप मचा हुआ है. साथ ही, मामले की जांच शुरू कर दी गई है.

पलामू बाघ अभयारण्य (पलामू टाइगर रिजर्व) के उपनिदेशक कुमार आशीष ने  बताया कि सोमवार देर रात दो जंगली नर हाथी बेतला राष्ट्रीय उद्यान के पलामू किला स्थित आश्रय स्थल (शेड) पहुंच गये और उन्होंने वहां रखे गये पालतू नर हाथी पर घेरकर हमला किया. उन्होंने बताया कि जंगली हाथियों के हमले में काल भैरव नामक पालतू नर हाथी गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

हथिनियों को नहीं पहुंचाया नुकसान

उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि मृतक हाथी पलामू बाघ अभयारण्य में आधिकारिक तौर पर संरक्षित हाथी था, जिसे बेतला राष्ट्रीय उद्यान स्थित पलामू किला में बनाए गए आश्रय स्थल (शेड) में रखा गया था.

जंजीर से बंधा होने के कारण काल भैरव हाथी अपना बचाव नहीं कर सका. उन्होंने बताया कि आश्चर्यजनक रूप से जंगली हाथियों ने वहां मौजूद चार मादा हाथियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया.

10 लाख रुपये में खरीदे गए थे तीन हाथी

आशीष ने बताया कि कर्नाटक सरकार से मैसूर से काल भैरव नर हाथी, मुर्गेस और सीता नामक मादा हाथी वर्ष 2018 में दस लाख रुपये में खरीदे गये थे. काल भैरव को विशेष रूप से जंगली हाथियों के हमले से सुरक्षा के उद्देश्य से ही खरीदा और प्रशिक्षित किया गया था.

रेंजर ने दी यह जानकारी

बेतला में वनों के क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) प्रेम प्रसाद ने बताया कि मृतक हाथी कुछ दिनों से बीमार था. जंजीर में बंधे पालतू हाथी को दो जंगली नर हाथी मारते रहे और वन अधिकारी, महावत आदि इस दौरान क्या कर रहे थे? इस सवाल पर उपनिदेशक आशीष ने दावा किया कि वन विभाग के लगभग तीस की संख्या में कर्मचारियों ने निगरानी टावर से पटाखे फोड़े, मशालें जलाईं, लेकिन दोनों हमलावर हाथी मतवाले होने के कारण पीछे नहीं हटे.

पालतू हाथी की मौत के बाद ही लौटे जंगली हाथी

उन्होंने दावा किया कि हमलावर हाथियों ने जब इस बात की संतुष्टि कर ली कि पालतू हाथी मारा जा चुका है, तभी वे वापस जंगल में लौटे. यह पूछे जाने पर कि आखिर शेड में मौजूद चार मादा हाथियों को हमलावर हाथियों ने कोई नुकसान क्यों नहीं पहुंचाया? इस पर आशीष ने कहा कि इसकी जांच की जा रही है, लेकिन संभवत: नरों के बीच की प्रतिस्पर्धा की भावना के चलते ऐसा हुआ होगा.

उन्होंने कहा कि पीटीआर के लिए यह एक बड़ी क्षति है. फिलहाल वन विभाग चारों पालतू हथिनियों को बेतला जंगल के पुराने शेड में ले आया है और पलामू किले के शेड को खाली कर दिया गया है.