रांची. कोरोना टीकाकरण को लेकर झारखंड में एक आदेश जारी किया गया था, जिसके बाद लोगों ने बवाल ही मचा डाला. दरअसल बात ही कुछ ऐसी है. झारखंड के कोडरमा में वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक आदेश जारी कर दिया था, जिसके बाद से ही जिले में बवाल होने लगा. वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों के आदेशानुसार अगर किसी सरकारी कर्मचारी ने वैक्सीन नहीं लगवाई या टीका लगवाने से बचने की कोशिश की तो सैलरी होल्ड पर रख ली जाएगी और तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि वह व्यक्ति वैक्सीन नहीं लगवा लेता.

वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्यता नहीं

बता दें, प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद देशभर में कोरोना टीकाकरण किया जा रहा है. इसमें पहले चरण में फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाई जा रही है. हालांकि, कोरोना का टीका लगवाना सरकार की तरफ से अनिवार्य नहीं किया गया है. इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से साफ कहा गया है कि वैक्सीन लगवाना बिल्कुल स्वैच्छिक है. कोई भी शख्स वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये भी स्पष्ट किया था कि अगर किसी ने रजिस्ट्रेशन भी करवाया है तब भी वो व्यक्ति न चाहे तो वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं है. हालांकि, झारखंड में टीकाकरण को लेकर जारी किए गए अलग ही तरह के फरमान से बवाल मचना शुरू हो गया.

सीएमओ ने दिया था आदेश

यह आदेश, मुख्य चिकित्सा अधिकारी पार्वती कुमारी और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अभय भूषण प्रसाद ने शनिवार को दिया था. उनके द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, स्वास्थ्य कर्मियों को सैलरी तभी दी जाएगी जब वो वैक्सीन लगवाने का प्रमाण दिखाएंगे. हालांकि, अब कहा जा रहा है कि लोगों द्वारा इस आदेश की निंदा किए जाने बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया है. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, नितिन कुलकर्णी ने इस बात को कन्फर्म किया कि इस तरह का नोटिस विभाग के अधिकारियों द्वारा जारी किया गया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया है.

इस वजह से दिया गया आदेश

सूत्रों का कहना है कि शनिवार के दिन कोडरमा के दो वैक्सीन सेंटरों पर बेहद कम लोग कोरोना टीका लगवाने के लिए पहुंचे थे. प्रशासन का उद्देश्य प्रत्येक सेंटर पर 100-100 लोगों को वैक्सीन लगाना है, इसी को देखते हुए इस तरह का ऑर्डर पारित कर दिया गया था.