इंसान की काबिलियत उसके रंग-रूप या शरीर के आकार से नहीं आंकी जा सकती. फिर भी हमारे समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो इन वजहों से किसी की क्षमता पर सवाल उठाने लगते हैं. कामयाबी के आसमान को छूने के लिए कद का बड़ा होना जरूरी नहीं, बल्कि हौसला बड़ा होना चाहिए.

रामामंडी के अरमान नगर की हरविंदर कौर उर्फ रूबी को भी अपने छोटे कद के कारण लोगों के ताने सुनने पड़े. तीन फुट 11 इंच (119.38 सेंटीमीटर) कद वाली हरविंदर कहती हैं कि भीड़ में खुद को सबसे अलग महसूस करना, लोगों की हंसी का पात्र बनना और खुद को कमरे में बंद रखना, यह ऐसी पीड़ा है, जिसे बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन रूबी ने इस पीड़ा को अपनी प्रेरणा बना लिया और एडवोकेट बनकर लोगों के तानों का जवाब दिया.

हरविंदर भी बाकी बच्चों की तरह ही थी लेकिन मुसीबत तब आन पड़ी जब चौथी क्लास के बाद उनका कद बढ़ना ही बंद हो गया. बेटी को ऐसे हालत में देख माता पिता की चिंता भी बढ़ गई. इसके कारण कईं बार इलाज भी करवाया लेकिन कुछ नहीं हो पाया. हरविंदर को भी हालात के साथ समझौता करना पड़ा. रूबी इस दर्द को अपने भीतर दबाए समाज की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटी रहीं. अब वे देश की सबसे छोटे कद की एडवोकेट बन गई हैं और ज्यूडिशियल सॢवसिज की तैयारी कर रहीं हैं. बार एसोसिएशन जालंधर के पूर्व प्रधान राज कुमार भल्ला के अनुसार हमारी एसोसिएशन ने इस बात की तस्दीक की है कि देश में अभी तक हरविंदर कौर से छोटे कद की कोई महिला एडवोकेट नहीं है. वे कई चुनौतियों को पार कर यहां तक पहुंचीं हैं.