कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कांग्रेस और वाम मोर्चा से अपील की थी कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ाई में तृणमूल कांग्रेस का साथ दें. दोनों दलों ने इसे सिरे से तो खारिज कर ही दिया है, कांग्रेस ने तृणमूल को पेशकश की है कि वह गठबंधन के स्थान पर खुद का कांग्रेस में विलय कर ले.

दूसरी ओर भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की इस सलाह को लेकर इसे पार्टी की हताशा करार दिया है. भाजपा ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को कहा, उन्हें ऐसा लगा कि उनके लिए कांग्रेस के बिना चल पाना बहुत कठिन होगा. वे (तृणमूल कांग्रेस) कांग्रेस की सहायता से ही सत्ता में आए और उन्होंने ही कांग्रेस को समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम दलों जैसी सेक्युलर पार्टियों को कमजोर किया जिससे भाजपा जैसी एक सांप्रदायिक पार्टी खड़ी हो गई.

बता दें कि बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी.

राज्य कांग्रेस प्रमुख चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया. चौधरी ने कहा कि उन्हें (ममता बनर्जी) को कांग्रेस में आ जाना चाहिए क्योंकि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. अगर वो यह महसूस कर सकते हैं तो उन्हें कांग्रेस ने नेतृत्व में आ जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसने इस देश में भाजपा और उसके पूर्वजों का सामना करते हुए 100 साल से सेक्युलरिज्म को अप्रभावित रखा है.