नई दिल्ली. भारत ने ब्रिटेन की संसद में कश्मीर मुद्दे पर हुई बहस में भाग लेने वाले कुछ सांसदों द्वारा किए गए झूठे दावों पर नाराजगी जताई है. भारत ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा है कि इस बेबुनियाद तथ्यों के पीछे किसी तीसरे देश का हाथ है. बुधवार को हाउस ऑफ कॉमन्स के वेस्टमिंस्टर हॉल में ब्रिटेन के कुछ असक्रिय सांसदों द्वारा कश्मीर में राजनीतिक स्थिति नाम से एक डिबेट का आयोजन किया गया था, जिसपर भारतीय दूतावास ने कहा है कि इस बहस का विषय ही भ्रम पैदा करने वाला है. इसके बाद ब्रिटिश सरकार को सफाई देनी पड़ी.

भारतीय राजदूत ने इस बहस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए अपने बयान में कहा है कि जहां तक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का सवाल है, उसके बारे में सारे तथ्य जनता के सामने है. पब्लिक डोमेन पर कश्मीर के बारे में तिथिवार हर जानकारी उपलब्ध है. वह भारत का अभिन्न अंग है, इतना ही नहीं अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जा किया गया पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का ही हिस्सा है.

भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि ब्रिटिश सांसदों ने अपने बहस में हाल की जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करते हुए किसी तीसरे देश द्वारा फैलाए जा रहे झूठे दावों को प्रतिबिंबित किया है. बता दें कि सांसदों ने कहा था कि कश्मीरियों संग घाटी में नरसंहार, हिंसा और यातनाएं हो रही हैं.

भारतीय दूतावास के ऐतराज के बाद अब ब्रिटेन ने इस मामले पर सफाई दी है. ब्रिटेन सरकार की ओर से जवाब देते हुए विदेश मंत्री निगेल एडम्स ने आधिकारिक रूख दोहराते हुए कहा है कि कश्मीर और एलओसी मुद्दा भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है, इस मामले में ब्रिटिश सरकार का कोई लेना-देना नहीं है.

हालांकि हमारा मानना है कि नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ मानवाधिकारों की स्थिति चिंताजनक है. बावजूद इसके ब्रिटेन का मानना है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसे भारत-पाकिस्तान को मिलकर आपस में ही सुलझाना चाहिए.