प्रदीप द्विवेदी (14 जनवरी 2021). इस वक्त देश में आपातकाल जैसे हालात हैं. आज की दो खबरें मोदी सरकार की ओर तेजी से बढ़ते सियासी खतरे की ओर इशारा कर रही हैं, लेकिन या तो पीएम मोदी देश में आपातकाल जैसे हालात को समझ नहीं रहे हैं या समझना नहीं चाहते हैं?

पहली खबर- नए कृषि कानूनों को लेकर बनी सुप्रीम कोर्ट की समिति में से एक सदस्य, भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है. वे भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं और वे इन तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे थे, परन्तु अब उनका कहना है कि वे पंजाब और किसानों के हितों के साथ समझौता न करने के लिए किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हैं. उनका कहना है कि एक किसान और एक यूनियन नेता के तौर पर, किसान यूनियनों और जनता के बीच फैली शंकाओं को ध्यान में रखते हुए, मैं किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों के साथ समझौता न हो सके. मैं समिति से खुद को अलग कर रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा.

दूसरी खबर- हरियाणा के करनाल जिले के कैमला गांव में बीजेपी की किसान महापंचायत के दौरान हुए उपद्रव के बाद बीजेपी ने बड़ा फैसला लिया है कि अब ऐसे आयोजन नहीं होंगे. खबरों पर भरोसा करें तो बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि किसानों के समानांतर रैलियां या महापंचायत जैसे आयोजन करने से माहौल सुधरने की बजाय और बिगड़ सकता है, लिहाजा अब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी नेताओं को किसानों के समानांतर बड़े आयोजन करने से रोक दिया है.

उल्लेखनीय है कि करनाल के कैमला में उपद्रवियों ने बीजेपी का मंच तोड़ दिया था और इस घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय नेतृत्व को पूरे मामले की जानकारी दी थी, नतीजे में ऐसे आयोजनों को रोक दिया गया है.

याद रहे, किसान आंदोलन के चलते हरियाणा की खट्टर सरकार सियासी संकट के दौर से गुजर रही है, प्रदेश के कई गांवों में सत्ताधारी दलों के एमएलए की एंट्री रोक दी गई है, तो सरकार में रहते हुए मंत्री तक निर्विघ्न आयोजन नहीं कर पा रहे हैं.

उधर, हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके अभय सिंह चौटाला ने किसानों के हित में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर माहौल को गर्मा दिया है, हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने अभय चौटाला के सशर्त इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए उन्हें व्यक्तिगत रूप से दो लाइनों का इस्तीफा देने की सलाह दी है, परन्तु उनकी सलाह को नजरअंदाज करते हुए अभय चौटाला ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करने तथा उन्हें फिर से एकजुट करने की प्रदेश स्तरीय मुहिम शुरू कर दी है.

किसानों और सरकार के बीच बैठक 15 जनवरी 2021 को विज्ञान भवन में 12 बजे से प्रस्तावित है, किन्तु कोई ठोस नतीजा निकलेगा ऐसी संभावना नहीं है. अलबत्ता, किसानों के विरोध कार्यक्रम जारी है. किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि आगामी 26 जनवरी 2021 को लाल किले से इंडिया गेट तक जुलूस निकालने की योजना है.

मोदी सरकार को या तो अपनी जिद्द छोड़कर तुरंत जरूरी फैसले करने चाहिएं या फिर आपातकाल के बाद आए नतीजों जैसे परिणाम के लिए तैयार रहना चाहिए!

इस बार गणतंत्र दिवस पर विदेशी अतिथि नहीं होंगे....

यह साफ हो गया है कि इस बार गणतंत्र दिवस परेड में कोई भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष चीफ गेस्ट के रूप में शामिल नहीं होने जा रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के हवाले से खबरें हैं कि वैश्विक कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. विगत पांच दशकों में पहली बार ऐसा हो रहा है जब कोई राष्ट्राध्यक्ष 26 जनवरी की परेड देखने नहीं आ रहे हैं, यह बात अलग है कि तीन बार ऐसे मौके पहले भी आए थे.

गौरतलब है कि भारत ने इस साल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने का न्योता भेजा था. उन्होंने न्योता स्वीकार भी किया था, लेकिन इस बीच ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की वजह से संक्रमण तेजी से फैलने लगा और देश में एक बार फिर सख्त लॉकडाउन की नौबत आ गई. ऐसे में बोरिस ने इस मुश्किल घड़ी में देश नहीं छोड़ने का फैसला किया और उन्होंने परेड में शामिल होने से असमर्थता जताई.

कोरोना वैक्सीनः 16 जनवरी को पीएम लॉन्च करेंगे अभियान....

पिछले एक साल से कोरोना महामारी के खिलाफ जंग के मद्देनजर भारत में 16 जनवरी 2021 से कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है. खबरें हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीकाकरण अभियान की शुरुआत कर सकते हैं. देश में टीकाकरण अभियान के पहले दिन 16 जनवरी 2021 को करीब तीन लाख स्वास्थ्य कर्मियों को 2,934 केंद्रों पर टीके लगाए जाएंगे. प्रत्येक टीकाकरण सत्र में अधिकतम 100 लोग होंगे.

दोस्त दोस्त ना रहा....

कहते हैं जब सियासी समय बदलता है तो अपने भी पराये हो जाते हैं. कभी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपना दोस्त बताने वाले तो उनकी हार के बाद बदल ही गए हैं, उनके कई अपने भी विरोधी पाले में खड़ें हैं. कैपिटल हिल हिंसा के बाद हर तरफ ट्रंप की आलोचना हो रही है. प्रतिनिधि सभा में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पारित हो गया है और सबसे दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप के कई अपने भी उनका साथ छोड़ गए हैं. प्रतिनिधि सभा में पेश हुए महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में 232 सांसदों ने वोट किए, जबकि 197 वोट महाभियोग के खिलाफ पड़े. जिन सांसदों ने पक्ष में वोटिंग की, उनमें रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसद शामिल हैं. क्या देश-दुनिया के राजनेता ट्रंप प्रकरण से सियासी सबक लेंगे?

साक्षी महाराज ने कहा- भगवान उन्हें (ओवैसी को) और भी शक्ति दें?

अपने धारदार बयानों के लिए चर्चित भारतीय जनता पार्टी के नेता और सांसद साक्षी महाराज ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लेकर सियासी निशाना साधते हुए कहा है कि ओवैसी अब बिहार के बाद बीजेपी को पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी मदद करेंगे.

खबरों पर भरोसा करें तो साक्षी महाराज का कहना है कि यह ईश्वर की कृपा है. भगवान उन्हें (ओवैसी को) और भी शक्ति दें. उन्होंने बिहार में हमारी मदद की और उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल में भी करेंगे.

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव से ही ओवैसी पर विपक्षी दल मुस्लिम वोट बिखेरकर बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं.

क्योंकि ओवैसी की पार्टी ने यूपी, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, लिहाजा यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन राज्यों में बीजेपी को कितना फायदा पहुंचाते हैं?

अभिमनोजः किसानों की जिद्द समझ में आती है, सरकार की जिद्द क्यों?

https://palpalindia.com/2021/01/14/delhi-Abhimanoj-farmers-stubborn-understanding-why-government-is-stubborn-farmers-organizations-leaders-talks-news-in-hindi-23285.html