नेपाल में जारी आंतरिक सियासी उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को एक ओर जहां भारत के साथ संबंधों को 'बहुत अच्छा' बताया, वहीं चीन को भी सख्त लहजे में संदेश दिया कि वह किसी और के आदेशों को नहीं मानता है. बीते कुछ समय से नेपाल की राजनीति में चीन की दखलअंदाजी पर हुए नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सख्त लहजे में कहा कि हमें अपनी स्वतंत्रता से प्यार करते हैं, हमें अपनी आजादी पसंद है. हम दूसरों के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं... हम स्वतंत्र रूप से अपने मामलों पर निर्णय लेते हैं.  हम बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं.

भारत और नेपाल में अच्छे रिश्ते

भारतीय चैनल के इस इंटरव्यू को द काठमांडु पोस्ट की वेबसाइट ने छापा है और शीर्षक रखा है- क्या ओली ने एक तीर से दो शिकार किए? नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि साल 2021 एक ऐसा साल होगा जब हम यह ऐलान कर सकते हैं कि नेपाल और भारत के बीच कोई समस्या नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि नेपाल भारत के साथ रिश्‍ते बहुत अच्‍छे हैं. दोनों देशों के बीच ये रिश्ते इतने अच्छे हैं जितने पहले कभी नहीं रहे. इसके अलावा, ओली ने सख्त लहजे में कहा कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाल के हैं और नेपाल और भारत के बीच "यह एकमात्र छोटी समस्या है".

एक तीर से दो शिकार

काठमांडू पोस्‍ट ने लिखा, सत्‍तारूढ़ नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के केपी ओली के पक्ष वाले एक नेता ने कहा कि यह इंटरव्यू ओली की सोची समझी रणनीति का हिस्‍सा है. इससे उन्होंने एक तीर से दो शिकार किए हैं. एक ओर उन्होंने नेपाली राष्ट्रवाद का जिक्र कर नेपाली लोगों को संतुष्ट करने की कोशिश की, दूसरा उन्होंने यह बताया कि वह दिल्ली के साथ मिलकर काम करना चाहते है और वह भारत के साथ कोई झगड़ा नहीं चाहते हैं. 

भारत के साथ हैं नेपाली पीएम

इसके अलावा, नाम न जाहिर होने की शर्त पर सेंट्रल कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि केपी शर्मा ओली ने अपने इस इंटरव्यू के माध्यम से नेपाल के लोगों को यह संदेश दिया है कि वह भारत के साथ हैं. साथ ही क्योंकि उन्‍होंने नेपाल में चुनाव की घोषणा कर दी है, उन्‍हें समर्थन की जरूरत है. गौरतलब है कि केपी शर्मा ओली का यह इंटरव्यू ऐसे वक्त में आया है, जब नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवली 14 जनवरी को भारत दौरे पर आ रहे हैं. 

संप्रभुता से समझौता नहीं

नेपाल के विदेश मंत्री के नयी दिल्ली के दौरे से पहले नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने कहा है कि भारत या चीन के साथ संबंधों में उनका देश संप्रभुता की बराबरी से समझौता नहीं करेगा. विदेश मंत्री के दौरे में सीमा गतिरोध पर वार्ता केंद्रित रहने की उम्मीद है. ओली ने कहा, 'हम चीन या भारत के क्षेत्र पर दावे करने की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन हम अपने मित्रों के साथ अपने क्षेत्रों पर दावा जरूर करेंगे. पिछले वर्ष ओली सरकार ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी कर तीन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया था जिसके बाद सीमा गतिरोध जारी हो गया था

भारत-चीन के बीच समधाना की पेशकश

ओली ने भारत और चीन के बीच जारी विवाद का समाधान कराने की भी पेशकश की. ओली ने कहा, 'अगर हम उनकी सहायता करने में मददगार साबित हो सकते हैं तो हम तैयार हैं.' घरेलू राजनीतिक संकट पर जिस कारण उन्हें प्रतिनिधि सभा को भंग करने की अनुशंसा करनी पड़ी थी, ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड को सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया. ओली ने यह भी दावा किया कि भारत के कुछ तत्व उन्हें पद से हटाने के लिए षड्यंत्र रच रहे हैं लेकिन नेपाल की अंदरूनी राजनीति में चीन का हाथ होने से उन्होंने इंकार किया.