व्यूज. जनता से इनकम टैक्स सहित विभिन्न टैक्स सरकारों की ओर से देश के आर्थिक प्रबंधन के लिए लिए जाते हैं, लेकिन लंबे समय से इस राशि का उपयोग जन प्रतिनिधियों की सुविधाओं की बढ़ोतरी और सत्ताधारी दलों के वोट बैंक विस्तार के लिए किया जा रहा है.

नतीजा यह है कि टैक्स देने वाले लोग दोहरी मार का शिकार हो रहे हैं, एक- अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा उन्हें टैक्स के लिए देना पड़ रहा है और दो- यह पैसा उन्हें कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करता है, यह एक तरह का अंधा दान है.

आज के हालात में इनकम टैक्स जैसे विभिन्न टैक्स को लेकर ऑटो इंश्योरेंस सिस्टम डेवलप करने की जरूरत है.

यदि कोई व्यापारी, कर्मचारी इनकम टैक्स देता है तो उसी राशि के सापेक्ष उसका अपनेआप इंश्योरेंस हो जाना चाहिए. यही तरीका अन्य विभिन्न टैक्स को लेकर भी होना चाहिए.

उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति किसी रेस्टोरेंट में खाना खाता है और बिल के साथ टैक्स देता है, तो उसका हेल्थ इंश्योरेंस अपनेआप हो जाना चाहिए. जब कभी भी बीमार होने पर उसे जरूरत हो, उस राशि के सापेक्ष उसे लाभ मिलना चाहिए.

इनकम टैक्स की राशि को इंश्योरेंस प्रीमियम के तौर पर लिया जाना चाहिए, ताकि काम-धंधे में नुकसान होने पर, उसके सापेक्ष उस व्यक्ति को लाभ मिले.

यदि सरकार, टैक्स और इंश्योरेंस को मिलाकर नया टैक्स सिस्टम डेवलप करती है, तो करदाताओं का विश्वास बढ़ेगा, टैक्स चोरी पर रोक लगेगी, करदाता बढ़ेंगे और देश के आर्थिक ढांचे में सुधार होगा.
इस वक्त तो जनता को विभिन्न टैक्स सरकारी चौथ वसूली जैसे नजर आ रहे हैं!    

कृषि क़ानूनों जैसे निर्णय तो जनमत संग्रह से ही होने चाहिए!

https://www.palpalindia.com/2021/01/10/Punjab-central-government-new-agricultural-laws-decisions-farmer-movement-news-in-hindi-22967.html