सियोल. दक्षिणी कोरिया की एक अदालत ने करीब 8 दशक बाद महिलाओं के हक में एक फैसला सुनाया है. इन महिलाओं का जापानी सैनिकों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हर रोज बलात्कार किया जाता था. राजधानी सियोल की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 12 पीड़ित महिलाओं को जापान सरकार की ओर से 66-66 लाख रुपये दिए जाएं.

डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया की इन पीड़ित महिलाओं को जापानी सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेक्स गुलाम बना लिया था और इन महिलाओं को 'comfort women' (आराम देने वाली औरतें) का नाम दिया था. आलम तो यह था एक दिन में एक औरत के साथ 50-50 सैनिक बलात्कार करते थे. इन औरतों के साथ यौन शोषण तो बेहद आम बात थी. कई सैनिकों के संभोग करने के चलते इन महिलाओं यौन संबंधित खतरनाक बीमारियां हो जाती थीं. इन महिलाओं को अनचाहा गर्भ धारण करना पड़ता था. सैनिकों से जबरन सेक्स के दौरान पैदा हुए बच्चों को भी यातनाएं झेलनी पड़ी.

दक्षिण कोरियाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि इन महिलाओं के साथ बलात्कार करना और उन्हें सेक्स गुलाम बनाना इंसानियत के खिलाफ किया गया अपराध था. पीड़ित महिलाओं ने 2013 में कोर्ट में याचिका दायर की थी. हालांकि, दक्षिण कोरिया के कोर्ट के दिए फैसले से जापान नाराज है और उसने इसका विरोध भी जताया है. जापान का इस मुद्दे पर यह कहना है कि युद्ध के हर्जाने के मसले के साथ वर्ष 1965 में इसे भी सुलझाया जा चुका है. वहीं, दक्षिण कोरिया के कोर्ट का कहना है कि 1910 से 1945 के बीच जापान ने गैरकानूनी रूप से कोरियाई क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और इसी दौरान महिलाओं को सेक्स गुलाम बनाया गया था. इसलिए स्वायत्त देश होने के बावजूद जापान मुकदमे से नहीं बच सकता.

साउथ कोरिया की करीब 240 महिलाओं ने सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन कराया था. ये जापानी सैनिकों की सेक्स गुलाम के नाम से जानी जाती थीं. अब इनमें से सिर्फ 16 पीड़ित महिलाएं ही जीवित हैं और मुकदमा दायर करने वाली 12 में से सिर्फ चार ही जिंदा हैं. 20 पीड़िता महिलाओं ने एक अलग मुकदमा किया है. इसका फैसला भी जल्द आ सकता है.