नई दिल्ली. चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि एक मामले में चीटियां इंसानों से ज्यादा समझदार निकली हैं. कोरोना संक्रमण ने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन का महत्व समझा दिया. लेकिन चीटियां इस कॉन्सेप्ट को काफी पहले से आजमाती आ रही हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ लुसेने, स्विट्जरलैंड की शोध टीम ने लेसियस नाइजर प्रजाति की चींटियों पर एक शोध किया है. जिसमें पता चला है बीमार चींटियां खुद को अपने साथियों से दूर रखती हैं.

एक शोध में चींटियों की ऐसी बस्ती का चुनाव किया गया, जहां ज्यादा संख्या में चींटियां रहती थीं. इन बस्तियों में लगभग 2200 चींटियों की रिहाइश थी. यहां पर इंफ्रारेड कैमरा लगाया गया, ताकि उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके. इसके बाद लगभग 10 प्रतिशत चींटियों को फंगस के संपर्क में लाया गया, ताकि उन्हें बीमार किया जा सके.

शोधकर्ताओं ने इस फंगस की डोज कम रखी थी, ताकि चींटी मरें नहीं, बस थोड़ी बीमार हो जाएं. वैसे आमतौर पर इस फंगल इंफेक्शन से चींटियों की एक से दो दिनों के भीतर मौत हो जाती है. शोधकर्ता सिल्विया क्रेमर के अनुसार फंगस के संपर्क में आने के बाद चींटियों का व्यवहार बदल गया.

बीमार चींटियां अपने साथियों से दूर रहने लगीं ताकि उनकी बीमारी दूसरों को न लग जाए. बीमार चींटियां साथ रहने लगीं और मुख्य दल से एकदम अलग हो गईं. बीमार चींटियां, खासकर शिशु और रानी चींटियों से अलग रहने लगीं ताकि वे बीमार न पड़ जाएं. चींटियों की यह समझदारी देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए.

चींटियों के इस अनोखे व्यवहार को देखने के बाद शोधकर्ता का कहना है कि हमें संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए चींटियों के व्यवहार से सीखने की जरूरत है. साथ ही यह देखने की जरूरत है कि बीमार चींटी को दूसरी चींटियां आइसोलेशन में छोड़ नहीं देतीं. बल्कि उसकी सारी जरूरतों को पूरा करती हैं और आपस में उसकी जिम्मेदारी भी बांट लेती हैं.