नई दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. दुनियाभर के बाजारों में सुस्ती और गिरावट देखने को मिली. ऐसे में सभी देशों की सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की. आर्थिक संकट से जूझ रहे क्षेत्रों के सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए. इसी कड़ी में वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुस्ती की वजह से सभी देशों के केंद्रीय बैंकों ने नीतिगत दरों में लगातार कमी की. भारत में भी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पॉलिसी दरों में काफी कमी की. इससे लोगों को सस्ता कर्ज मिला और वे निजी जरूरतों को पूरा सके. 

डेनमार्क में शून्य फीसदी पर मिल रहा होम लोन 

भारत में जहां होम लोन की ब्याज दर सात फीसदी से नौ फीसदी के बीच है, वहीं यूरोपीय देश डेनमार्क में बैंक 20 साल के लिए शून्य फीसदी की फिक्स्ड ब्याज दर पर होम लोन दे रहे हैं. मालूम हो कि डेनमार्क के केंद्रीय बैंक ने पिछले कई वर्षों से नेगेटिव ब्याज दर कायम कर रखी है. 2012 में यूरो से तुलना करने के लिए नीति निर्धारकों ने डेनमार्क नेशनल बैंक की ब्याज दर शून्य से नीचे कर दी थी, जो अब भी बरकरार है. 

जिस्क बैंक ने -0.5 फीसदी की दर से दिया लोन 

डेनमार्क की आधिकारिक ब्याज दर -0.75 फीसदी है. यूरोपीय देश के नॉर्डिया बैंक ने शून्य ब्याज दर पर होम लोन देने का एलान किया है. इसके साथ ही डैनिश बैंक, जिनमें नायक्रेडिट रियलक्रेडिट और डानस्के बैंक शामिल हैं, उन्होंने भी शून्य फीसदी ब्याज दर की पेशकश की है. वहीं अगस्त 2019 में डेनमार्क के जिस्क बैंक ने ग्राहकों को 10 साल के लिए -0.5 फीसदी की दर से होम लोन देने की पेशकश की थी. यानी ग्राहकों ने घर के लिए जितना कर्ज लिया, उन्हें वह पूरी रकम वापस नहीं करनी थी. उन्हें उसमें 0.5 फीसदी की छूट मिली थी.

ब्याज दरों में वृद्धि की कोई संभावना नहीं 

इस संदर्भ में नेशनल बैंक के गवर्नर लार्स रोडे ने कहा कि आने वाले समय में ब्याज दरों में वृद्धि की कोई संभावना नहीं है. बल्कि नकारात्मक दरें डेनमार्क की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही हैं. इससे डेनमार्क में बेरोजगारी की दर में गिरावट भी दर्ज की गई. इससे पहले स्विट्जरलैंड, स्वीडन और जापान जैसे देश भी वित्तीय संकट के समय ब्याज दर शून्य या उसके आसपास रख चुके हैं.