1,5,9 त्रिकोण भाव हैं. यह कुण्डली के सबसे शुभ भाव हैं. प्रथम भाव केन्द्र भी है और त्रिकोण भी है. इन भावों के स्वामी क्रूर या पाप ग्रह हैं तो वह भी शुभ फल देते हैं.

इन्हे लक्ष्मी स्थान भी कहते हैं. लक्ष्मी का अर्थ है धन-संपत्ति लेकिन लक्षमी का अर्थ धन नहीं उसके साथ सुख भी है. धन के साथ-साथ सुख हर किसी को नहीं मिलता है. पैसे से सुख नहीं मिलता है सुखी रहने के लिए लक्ष्मी की कृपाा भी चाहिए. लक्ष्मी की कृपा 1,5,9 से मिलती है.

प्रथम भाव हमारा शरीर है, हम स्वस्थ हैं तो लक्ष्मी खुद कमा लेंगे. पंचम भाव पुत्र का, प्रेम का, प्रसिद्धि का, पूर्व पुण्य कर्मों का है. अगर पूर्व जन्म में बहुत अच्छे कर्म किये हैं, दान-पुण्य किये हैं, दया की है तो पंचम भाव काफी मजंबूत होगा. पंचम भाव अच्छा होगा तो हर प्रकार के सुख मिलेंगे चाहे धन मिले या न मिले.

कुछ लोग धन को ही सुख मामते हैं. कुछ लोगों के पास धन होता है लेकिन अपने सुख पर खर्च नहीं करते धन-संचय करते रहते हैं. धन नहीं है सुख-सुविधायें हैं तो यह सब पूर्व जन्में के कर्मों की वजह से है. कुछ लोग अपने व्यवसाय या नौकरी में बहुत मेहनत तरते हैं लेकिन सुख नही मिलता कुछ लोग कम मेहनत करकेे आराम से धन कमाते हैं सुखी रहते हैं.

नवम भाव भी लक्षमी स्थान है अगर यह भाव बहुत अच्छा है तो सुख मिलेगा ही, भाग्य स्थान है. भाग्य आपका हर कदम पर साथ देगा.

तीनों भाव 1,5,9 बहुत अच्छे हैं तो जीवन में सुख मिलने से कोई नहीं रोक सकता है. सुख मिलेगा ही चाहे आप गरीब हैं या अमीर.

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