हरिद्वार. रेलवे में नौकरी लगवाने के नाम पर हरिद्वार और देहरादून के बेरोजगार युवक-युवतियों से एक करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. कोर्ट के आदेश पर कनखल थाने में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए गए हैं.

पहले मुकदमे में रिटायर्ड रेलकर्मी की कनखल निवासी तीन बेटियों को नामजद किया गया है, जबकि दूसरे मुकदमे में एक अन्य रिटायर्ड रेलकर्मी पर धोखाधड़ी का आरोप है. पुलिस के मुताबिक हजारीबाग कनखल निवासी रविंद्र ठाकुर ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि कुछ समय पहले उसकी मुलाकात कनखल की तीन बहनें संगीता मुखर्जी उर्फ मनीषा राय, सुप्रिया उर्फ प्रियंका और सीमा उर्फ मोनिका राय से हुई थी.

तीनों ने अपने पिता सुभाष मुखर्जी को रेलवे मुख्यालय दिल्ली में एफएनसीओ के पद पर कार्यरत बताते हुए नौकरी लगवाने का भरोसा दिलाया. झांसे में आकर रविंद्र ठाकुर ने अपने परिवार के चार युवकों की नौकरी लगवाने की एवज में 14.25 लाख रुपये उन्हें दे दिए.

इसके अलावा तीनों बहनों ने रमेश प्रसाद निवासी आफिसर्स कॉलोनी रेसकोर्स देहरादून से 14.9 लाख रुपये, मनीष पाल निवासी रायपुर देहरादून से 7.12 लाख, अरुण पाल केदारपुरम से 12.25 लाख, रामचंद्र निवासी धर्मपुर देहरादून छह युवकों की नौकरी लगवाने की एवज में 63 लाख रुपये लिए. कुछ व्यक्तियों को रेलवे का अधिकारी बताकर निवास का सत्यापन भी कराया गया, लेकिन नौकरी नहीं लगी. इसके बाद उन्होंने पैसे भी वापस नहीं किए गए. आरोपित बहनों के पिता का कुछ दिन पहले निधन हो गया है. वह रेलवे में कार्यरत थे.

वहीं दूसरे मामले में गाजीवाली श्यामपुर निवासी प्रियंका ने कोर्ट में बताया कि उनके पति मोहन का भाई सोहन का जगजीतपुर की राज विहार कॉलोनी निवासी कुलदीप के साथ पार्टनरशिप में कारोबार है. आरोप है कि कुलदीप ने कुछ दिन पहले अपने एक परिचित राजकुमार से मिलवाया. कुलदीप का कहना था कि राजकुमार रेलवे डीआरएम कार्यालय मुरादाबाद में कार्यरत हैं और नौकरी लगवा देगा. झांसे में प्रियंका की नौकरी के लिए उनके पति मोहन ने कुलदीप व राजकुमार को आठ लाख रुपये दे दिए. बाद में दोनों गायब हो गए.

आरोपित राजकुमार निवासी मुरादाबाद रेलवे का रिटायर्ड कर्मचारी बताया गया है. इन दोनों मामलों में कोर्ट ने कनखल थाने की पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए. इंस्पेक्टर कनखल शंकर सिंह बिष्ट ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर दोनों अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. धोखाधड़ी का शिकार हुए कुछ पीडि़त पूर्व में भी अलग-अलग मुकदमें दर्ज करा चुके हैं.