कोटा/जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा, जबलपुर व भोपाल मंडल के प्वाइंट्समैनों की ड्यूटी 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने के खिलाफ वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) ने रीजनल लेबर कमिशनर (आरएलसी) अजमेर, जबलपुर व भोपाल को अपील की थी. जिसमें अजमेर आरएलसी का विस्तृत आदेश आ गया है. माननीय आर एल सी अजमेर ने पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन की ओर से दिये गये सभी तर्कों को खारिज करते हुए आदेशित किया है कि प्वाइंट्समैनों की ड्यूटी घंटे 12 से घटाकर 8 घंटे की जाये. साथ ही जितने भी कर्मचारियों से अभी तक  अतिरिक्त घंटे काम कराया गया है, उन सभी को 30 दिन के अंदर ओवर टाइम का भुगतान किया जाये.

इस संबंध में डबलूसीआरईयू के जबलपुर मंडल सचिव नवीन लिटोरिया ने बताया कि पमरे प्रशासन ने संरक्षा से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े प्वाइंट्समैनों की ड्यूटी 08 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दी थी. इस मामले को डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव के नेतृत्व मेें तीनों मंडलों के अंतर्गत आने वाले रीजनल लेबर कमिशनर के समक्ष प्रस्तुत किया गया था. जिसमे आज अजमेर आरएलसी का आदेश आ गया है.

पमरे प्रशासन के तर्कों को सिरे से किया खारिज

डबलूसीआरईयू के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि माननीय अजमेर रीजनल लेबर कमिश्नर की कोर्ट ने डबलूसीआरईयू के तर्कों पर अपनी सहमति जताते हुए पमरे प्रशासन की ओर से रखे गये सभी तर्कों, जिसमें कहा गया था कि ड्यूटी घंटा बढ़ाने व ओटी नहीं देने का निर्णय कोविड-19 के कारण लिया गया है.प्रशासन का कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों का असर रेलवे की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ा है. जिसे आरएलसी ने सिरे से खारिज कर दिया और आदेशित किया कि जिन कर्मचारियों से उक्त अवधि में अतिरिक्त कार्य कराये गये हैं, उन्हें उक्त अवधि का ओवर टाइम का भुगतान 30 दिन के अंदर करें. इसके अलावा पमरे प्रशासन अपने निर्णय के पक्ष में कोई ठोस कारण प्रस्तुत नहीं कर सका.

उल्लेखनीय है कि पश्चिम मध्य रेल प्रशासन ने 02 माह पूर्व पॉइंट्समैन साथियों के ड्यूटी आवर्स 08 घण्टे से 12 घण्टे करने का तानाशाही पूर्ण आदेश जारी किया था. जिसके खिलाफ डबलूसीआरईयू के महामंत्री का. मुकेश गालव ने लम्बी लड़ाई लड़ी. अजमेर, जबलपुर और भोपाल के आरएलसी कोर्ट में अपील दायर की गई.प्रशासन किसी भी आरएलसी कोर्ट में अपना  प्रभावी पक्ष नहीं रख पाया. वहीं यूनियन द्वारा इस मामले में ठोस तर्क सामने रखे जाते रहे.इस कारण जीत हुई.