प्रेस रिव्यू. देश में चल रहे मसालेदार धारावाहिकों के बीच ताजा हवा का अहसास कराता है धारावाहिक- फिर सुबह होगी!

फिर सुबह होगी.... केवल मनोरंजन नहीं, सही दिशा देने की कामयाब कोशिश भी है.

भारतीय मध्यवर्ग के लिए टीवी एक बेहतर दोस्त, गुरु, सहयोगी साबित हो सकता है, यदि इस पर श्रेष्ठ जानकारियां दी जाएं, चाहे वे समाचार के तौर पर हों, धारावाहिकों के रूप में हों, चाहे चर्चा के अंदाज में हों, क्योंकि देश की ज्यादातर महिलाएं घर से बाहर कम ही जाती हैं.

यदि उनको सरकारी योजनाओं, तौर-तरीको, महिला सुरक्षा के विभिन्न कानूनों, अधिकारों आदि की जानकारी दी जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं.

फिर सुबह होगी ऐसा ही बेहतर प्रयास कहा जा सकता है.

निर्माता-निर्देशक पिंकू बिश्वास का धारावाहिक.... फिर सुबह होगी, इन तमाम कसौटियों पर खरा उतरने के साथ-साथ बेहद लोकप्रिय भी होगा.

इस धारावाहिक की कहानी अनुपमा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक डॉक्टर है और समाज के लिए बेहतर काम करना चाहती है.

आम हिंदी धारावाहिकों की पारंपरिक नायिकाओं से हटकर, अनुपमा मुखर और आत्मविश्वास से भरी हैं. वह अपना रास्ता खुद बनाने में विश्वास रखती हैं.

यह धारावाहिक महिलाओं को जरूरी शिक्षा प्रदान करने के महत्व पर जोर देता है, ताकि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें और देश-समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकें. यह धारावाहिक दहेज, घरेलू हिंसा, अशिक्षा जैसी सामाजिक समस्याओं को तो उजागर करता ही है, इनके समाधान के संकेत भी देता है.

निर्माता-निर्देशक पिंकू बिश्वास ने एक विशेष परिकल्पना को साकार करने का सफल प्रयास किया है, तो कलाकारों ने अपनी श्रेष्ठता साबित की है!

फिर सुबह होगी.... केवल मनोरंजन नहीं, सही दिशा देने की कामयाब कोशिश भी है!