देहरादून. उत्तराखंड में सर्दियों के सीजन में जंगल आग से धधक रहे हैं. अक्टूबर नवंबर के डेढ़ महीने में ही इस साल फरवरी से जून तक चले फ़ायर सीजन के रिकॉर्ड टूटने वाला है. बेमौसम इस आग ने फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पसीने छुड़ा दिए हैं. वन विभाग प्रमुख रंजना काला ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर दीपावली तक फील्ड स्तर के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की छुटटी पर रोक लगा दी है. दीपावली के दौरान किसी भी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने पर भी रोक लगा दी गई है. डीएफ़ओ को भी कड़े निर्देश जारी किए गए हैं. इस दौरान डीएफ़ओ भी छुटटी पर नहीं जा सकेंगे. डीएफ़ओ को कहा गया है कि वह हर हाल में अपना मोबाइल फोन ऑन रखेंगे.

बता दें कि उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक फ़ायर सीज़न माना जाता है. फ़रवरी में सर्दियों की विदाई के बाद गर्मियों की शुरुआत होती है और तापमान बढ़ने के साथ जंगल धधकने लगते हैं. जून में मानसून सीजन शुरू होने के बाद मान लिया जाता है कि फॉरेस्ट फ़ायर अगले साल फरवरी तक छुट्टी पर चली गई है. फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट इसी हिसाब से अपनी पॉलिसी तय करता है.

लेकिन, इस बार अक्टूबर से ही जंगल आग की चपेट में हैं. अभी तक आग लगने की 97 घटनाएं हो चुकी हैं और 140 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल आग की चपेट में आए चुके हैं. इनमें गढ़वाल में सबसे अधिक 73, तो कुमाऊं में आग लगने की 24 घटनाएं हुई हैं. फरवरी से जून तक फ़ायर सीज़न के चार महीनों में आग लगने की कुल 135 घटनाएं हुई थीं और कुल 172 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल आग की चपेट में आए थे. ये बीते सालों में अब तक का सबसे कम आंकड़ा था. वन विभाग इसकी वजह मौसम चक्र में आ रहे बदलाव को भी मान रहा है. फ़ॉरेस्ट फ़ायर के नोडल ऑफिसर मान सिंह का कहना है कि अभी तक बारिश न होने के कारण जंगलों में ड्राइनेस बढ़ गई है. इसकी वजह से आग की घटनाएं बढ़ रही हैं.

वन विभाग ने अपने सभी फ़ायर कंट्रोल रूम एक्टिवेट कर लिए है. इसके अलावा फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से भी विशेष आग्रह कर फ़ायर अलर्ट मंगाए जा रहे हैं. आमतौर पर फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया फ़ायर सीजन में फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट को फ़ॉरेस्ट फ़ायर की सैटेलाइट इमेज भेजता था. इस बार अक्टूबर, नवंबर में ही आग लगने की घटनाओं के चलते एफएसआई को विशेष आग्रह किया गया.