देहरादून. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सितारगंज चीनी मिल को दीर्घकालिक लीज पर दिए जाने के साथ ही पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलाने की संभावनाओं पर विचार करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कैलाश नदी में खनन पट्टों की स्वीकृति के लिए सिडकुल को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी करने के निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में सितारगंज विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं के संबंध में बैठक की. उन्होंने कहा कि सितारगंज चीनी मिल के संचालन का काम काफी समय से रुका हुआ है. इसके संचालन के लिए समय सीमा तय कर काम शुरू किया जाए.

उन्होंने मिल को पीपीपी मोड में चलाने के लिए अन्य राज्यों की ऐसी चीनी मिलों का अध्ययन करने को कहा, जहां इस प्रकार की प्रक्रिया सफल रही है. इस दौरान उन्होंने सितारगंज की कैलाश नदी पर खनन के संबंध में कहा कि नदियों में नियमानुसार चुगान करने से नदियों में एकत्र सामग्री की सफाई भी होती है. इससे बरसात में नदी के बहाव से नदी क्षेत्रों में होने वाले नुकसान को भी नियंत्रित किया जा सकता है.

बैठक में शुगर फेडरेशन के निदेशक चंद्रेश यादव ने बताया कि चीनी मिल की विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट एवं इसके संचालन को मानक तैयार करने के लिए नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है. उनके द्वारा 30 नवंबर तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया है.

रिपोर्ट प्राप्त होते ही शुगर मिल के संचालन के संबंध में कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी. बैठक में विधायक सितारगंज सौरभ बहुगुणा, अपर मुख्य सचिव उद्योग मनीषा पंवार, सिडकुल के प्रबंध निदेशक एसए मुरुगेशन व विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ पराग मधुकर धकाते भी उपस्थित थे.