देहरादून. दिवाली पर पटाखे और खेतों में पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए उत्तराखंड की सरकार ने इस साल राज्य में विदेशी पटाखों की बिक्री पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगा दिया है. राज्य सरकरार ने स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए भी यह कदम उठाया है.

केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों के पुलिस मुख्यालय को निर्देशित किया है कि दीपावली के दौरान किसी भी शॉप पर विदेशी पटाकों के बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए. अगर कोई भी दुकानदार विदेशी पटाकों को बेचता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ सख्त पुलिस कार्रवाई की मांग की गई है.

डायरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटलीजेंस मुख्यालय दिल्ली ने विदेशी पटाकों को पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित करने के आदेश जारी किए हैं. मुख्यालय के तहत विदेशी पटाकों से ध्वनि और वायु प्रदूषण ज्यादा होने की संभावनाएं रहती है, जिसके लिए सभी राज्यों को निर्देशित किया है कि किसी भी शॉप पर केवल मेड इन इंडिया पटाके और आतिशबाजी की सामग्री बेची जाएगी. इसी के तहत उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने भी राज्य के गढ़वाल और कुमाऊ रेंज को राज्य के सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को इस निर्देश का पालन करवाने के आदेश जारी किए हैं.

वहीं मामले में आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने सभी जनपदों के एसपी-एसएसपी को दीपावली के दौरान विदेशी पटाकों की बिक्री पर रोक लगाते हुए पटाखों की दुकानों की सख्ती के साथ निगरानी करने के आदेश जारी किए हैं. उन्होंने बताया कि नियमानुसार जिलाधिकारी पटाखों की बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करते हैं, लेकिन उसमें भी सिर्फ मेड इन इंडिया के पटाखों को बेचे जाने के लिए लाइसेंस दिया जाता है. विदेशी पटाखे इस लाइसेंस से नहीं बेचे जा सकते हैं. अब केंद्र से मिले पत्र के बाद सभी जनपद पुलिस को इसकी बिक्री पर रोक लगाते हुए कार्रवाई की जागी.

देश में विदेशी पटाखों और आतिशबाजी की बिक्री और संग्रह पर प्रतिबंध है, लेकिन जनसामान्य को इसकी जानकारी बहुत अधिक नहीं है. इसके अभाव में दीपावली के अवसर पर जाने-अनजाने व्यक्ति ऐसे पटाखे खरीद लेते हैं. इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में भी दीपावली के मौके पर चीन निर्मित पटाखे और आतिशबाजी समेत अन्य सामग्री यहां पहुंचती रही है. ये आतिशबाजी अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाली होती है. साथ ही इनसे खतरा भी अधिक होता है.