Web Series Review: ए सूटेबल ब्वॉय

कलाकार: ईशान खट्टर, तब्बू, तान्या मानिकताला, माहिरा कक्कड़, रसिका दुग्गल, विजय वर्मा, दानिश

रजवी, नमित दास, राम कपूर, रणदीप हुड्डा आदि.

निर्देशक: मीरा नायर

ओटीटी: नेटफ्लिक्स

रेटिंग: ***1/2

वेब सीरीज ‘ए सूटेबल ब्वॉय’ इतिहास का दस्तावेज तो नहीं है लेकिन नया संविधान लागू होने के ठीक बाद के समय में एक मस्जिद के सामने किसी धन्नासेठ का सिर्फ इसलिए मंदिर बनवा देना कि नमाज के वक्त वो काबा की तरफ रुख करें तो उन्हें सामने शिवलिंग नजर आए, इस सीरीज की अंतर्धारा है. सीरीज देखते समय ध्यान ये रखना है कि ये सीरीज मूलत: अंग्रेजी में बनी है. हिंदी में इसे बाद में डब किया गया है और लगता ये भी है कि सबटाइटल्स लिखने वाले को उर्दू की शेरो शायरी समझ नहीं आती.

ए सूटेबल ब्वॉय की कहानी के केंद्र में मेहरा फैमिली है, जिसमें रूपा मेहरा (माहिरा कक्कर) अपनी 19 साल की बेटी लता मेहरा (तान्या मनिकतला) के लिए एक योग्य लड़के की तलाश कर रही है. लता यूनिवर्सिटी में पढ़ती है और आजाद ख़यालों की है. लता मेहरा की यूनिवर्सिटी के लड़कों से दोस्ती है, जिनमें से एक लड़के से वह प्यार भी करती है. मान कपूर की भूमिका में ईशान खट्टर और सीदा बाई की भूमिका में तबु. सीदा बाई एक वेश्या है, जिसका मान कपूर से संबंध है. मान और सीदा बाई के रिश्ते को मान के पिता महेश कपूर (राम कपूर) नापसंद करते हैं, लेकिन प्रेम ना जाने उम्र-जात वाली कहावत के वश में मान सीदा बाई से अपने संबंधों को जगजाहिर कर देता है.

वेब सीरीज ‘ए सूटेबल ब्वॉय’ के छह एपीसोड में कोई सौ से ऊपर किरदार आपको देखने को मिलेंगे. अभिनय के लिहाज से ‘ए सूटेबल ब्वॉय’ तीन कलाकारों के करियरनामे का हीरा है. पहली तब्बू, जिन्हें सईदा के किरदार में देखने के बाद किसी दूसरे कलाकार का नाम यहां सोच पाना मुश्किल है. एक उम्रदराज तवायफ के किरदार में तब्बू ने अपने से आधी उम्र के लड़के संग रूहानी और जिस्मानी रिश्ते बनाए हैं. उनका अभिनय उनकी आंखों से बोलता है और आंखों से ही सब कुछ कह जाने के मामले में दाद के लायक काम किया है ईशान खट्टर ने. मीरा नायर का ये मान सिनेमा के शौकीनों को बरसों तक याद रहने वाला है. मान की कहानी में नवाब के बेटे से उसकी दोस्ती को समलैंगिक इशारा देने की कोशिश भी पटकथा लेखक ने की है, लेकिन इसका विस्तार बाद में गायब मिला. तान्या मानिकताला ने लता के रूप में सीरीज को एक अलग तेवर और साथ ही साथ एक जरूरी सौम्यता भी प्रदान की है. उनका किरदार स्त्री विमर्श का अपने आप में एक दुरूह विषय है.