मुस्लिम महिला का फुटबॉल कोच बनना किसी सपने से कम नहीं है. चेन्नई की 35 वर्षीय तमीमुन्निसा जब्बार ऐसी ही महिला हैं जो लड़कियों को फुटबॉल सिखाती हैं. उन्हें प्यार से लोग तमीम भी बुलाते हैं.

तमीम लड़कियों को हिजाब और फुल पैंट्स में फुटबॉल सिखाती है और इससे लड़कियों को फुटबॉल खेलने में किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता. तमीम फुटबॉल सीखाने के साथ-साथ एसोसिएशन स्कूल के बच्चों को पीटी की शिक्षा भी देती है. उन्हें पढ़ाने के साथ-साथ तमीम लड़कियों का ध्यान भी रखती है. वह उन्हें प्रैक्टिस के बाद खुद घर छोड़कर आती है. वह कहती हैं, 'अधिकतर परिवार लड़कियों के स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने पर सहमत नहीं होते हैं इसलिए मुझे इन लड़कियों को हिजाब पहनाना पड़ता है. इससे कम से कम वे खेल में हिस्सा तो ले पाती हैं.'

चेन्नई के चेंगलपेट में पढ़ाई करते समय उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने कई स्टेट लेवल मैच खेले और कांचीपुरम का एक मैच जीत भी लिया. 1999 में ऊटी में हुए एक मैच में उन्होंने ऐसा प्रदर्शन किया कि उन्हें अखबारों ने 'लेडी बाइचुंग भूटिया' का उपाधि दे दी गई. अखबार में बेटी का नाम देखने के बाद तमीम के पिता की आंखों से आंसू आ गए. उनके पिता ने ही बाद में तमीम को कोच बनने के लिए प्रेरित किया और अपने ही जैसी लड़कियों को फुटबॉल सिखाने की सलाह दी थी.