अक्सर घर बनवाते समय जाने अनजाने ऐसी गलतियां हो जाती हैं जिससे घर पर नाकारत्मक प्रभाव पढ़ता है. कईं बार घर की साज सजावट और घर में रखे सामानों से वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है. हर बार तोड़-फोड़ करना व्यवहारिक नहीं होता.वास्तु-दोष का असर कम करने के लिए वास्तु में कई उपाय बताए गए हैं, इनमे से एक है वास्तु मंत्र. इन मंत्रों की मदद से वास्तु के बुरे प्रभावों से छुटकारा पाया जा सकता है. घर की जिस-जिस दिशा में वास्तु-दोष हों, उस दिशा के लिए मन्त्र-जाप करने से लाभ होता है. एक से अधिक दिशाओं के मन्त्र पढ़े जा सकते हैं.

उत्तर दिशा मंत्र :

उत्तर दिशा के देवता धन के स्वामी कुबेर हैं. इस दिशा के दूषित होने पर घर में रहने वाली महिलाओं को कष्ट सहन करना पड़ता है. साथ ही आर्थिक परेशानियों और धन आदि के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इस दिशा को वास्तु दोष से मुक्त करने के लिए इश मंत्र का जाप करना चाहिए.

ऊं बुधाय नमः या ऊं कुबेराय नमः

ये मंत्र आर्थिक समस्याओं के निवारण के लिए अधिक लाभकारी होता है.

वायव्य दिशा मंत्र (उत्तर-पश्चिम) :

वायव्य दिशा के ग्रह स्वामी चंद्रमा हैं और देवता वायु हैं. इस दिशा में वास्तु दोष के होने से घर में रहने वाले लोग सर्दी जुकाम एवं छाती से संबंधित रोग से परेशान होते हैं. इसे दूर करने के लिए चंद्र एवं वायु देव के मंत्र का प्रयोग किया जाता है.

चंद्र मंत्र- ऊं चंद्रमसे नमः

वायु देव- ऊं वायवै नमः

दक्षिण दिशा मंत्र :

दक्षिण दिशा के स्वामी ग्रह मंगल और देवता यम हैं. दक्षिण दिशा से वास्तु दोष दूर करने के लिए और अपने जाने-अनजाने किए गए पापों से भी छुटकारा पाने के लिए इन मंत्रोम का 108 बार जाप करना चाहिए.

मंगल मंत्र- ऊं अं अंगारकाय नमः

यम मंत्र- ऊं यमाय नमः

आग्नेय दिशा मंत्र (दक्षिण-पूर्व) :

आग्नेय दिशा के स्वामी ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं. इस दिशा में वास्तु दोष होने पर शुक्र अथवा अग्नि के मंत्र का जप लाभप्रद होता है.

शुभ मंत्र- ऊं शुं शुक्राय नमः

साथ ही व्यपार में सफलता और नौकरी में तरक्की पाने के लिए अग्नि देव के मंत्र का जाप करनी भी लाभदायक होता है.

अग्नि मंत्र- ऊं अग्नेय नमः

पूर्व दिशा मंत्र :

पूर्व दिशा के स्वामी भगवान सूर्य को और देवता भगवान इंद्र को माना जाता हैं. इस दिशा के वास्तु दोष दूर करने के लिए रोज मंत्र ‘ ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः का जप करें.

इस मंत्र के जप से मनुष्य को मान-सम्मान एवं यश की प्राप्ति होती है. इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन 108 बार इंद्र मंत्र ऊं इन्द्राय नमः का जप करना भी इस दिशा के दोष को दूर कर देता है.

ईशान दिशा मंत्र (पूर्व-उत्तर) :

इस दिशा के स्वामी बृहस्पति हैं और इस दिशा के देवता भगवान शिव को माना जाता हैं. इस दिशा के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए

- ऊं बृं बृहस्पतये नमः
मंत्र का जाप करना चाहिए.

साथ ही संतान और सुखी परिवार के लिए- ऊं नमः शिवाय का 108 बार जप करें.

पश्चिम दिशा मंत्र :

पश्चिम दिशा के स्वामी ग्रह शनि और देवता वरूण हैं. इस दिशा में किचन कभी भी नहीं बनाना चाहिए. इस दिशा में वास्तु दोष के दूर करने के लिए शनि मंत्र को जपें.

शनि मंत्र- ऊं शं शनैश्चराय नमः

यह मंत्र शनि के कुप्रभाव को दूर कर देता है. बुरे कर्मों के परिणामों से बचाता भी है.

नैऋत्य दिशा मंत्र (दक्षिण-पश्चिम) :

नैऋत्य दिशा के स्वामी राहु ग्रह हैं और देवता नैऋत. इस दोष को दूर करने के लिए राहु और नैऋत मंत्र को भी बहुत प्रभावी माना जाता है.

राहु मंत्र- ऊं रां राहवे नमः
नैऋत मंत्र- ऊं नैऋताय नमः

- Swastik Jyotish Kendra