अक्सर हम जब भी घरों से बाहर जाते हैं तो अपने जरूरी सामनों और घर के दरवाज़ों को ताला लगाकर जाते हैं. ताकि बाहर जाने पर भी घर की सुरक्षा बनी रहे. सुरक्षा के लिए ताला और चाबी दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किंतु फिर भी कई ऐसी जगह भी होती हैं जहां ताले की जरूरत नहीं पड़ती है. लेकिन आज हम आपको वास्तु के हिसाब से बताएंगे कि जीवन में ताले का क्या महत्व होता है और वास्तु शास्त्र के हिसाब से बताएंगे ताले को लेकर कुछ नियमों के बारे में. 

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा को सूर्य का स्थान माना जाता है, जिससे कि घर की पूर्व दिशा की तरफ तांबे का ताला प्रयोग करना चाहिए. घर में इस दिशा में तांबे का ताला डालने से घर की सुरक्षा बढ़ती है और घर में चोरी का भय भी पूरी तरह से कम हो जाता है और वास्तु के हिसाब से इसे शुभ माना जाता है. 

वास्तु के हिसाब से पश्चिम दिशा को शनि का स्थान माना जाता है और इस तरफ हमेशा लोहे से बना तला ही लगाना चाहिए और इसके साथ ही इस दिशा में लगाए जाने वाले ताले के रंग काला होना चाहिए. ऐसा मानना है कि काले रंग का ताला लगाने से घर में चोरी का खतरा नहीं होता है. इस बात का ख्याल रहे कि कभी भी इस दिशा में तांबे का ताला न लगाएं. 

घर की उत्तर दिशा में हमेशा पीतल का ताला लगाना चाहिए. ध्यान रहे कि अगर आप उत्तर दिशा में धातु के ताले लगा रहे है तो इस ताले का रंग सुनहरा होना चाहिए. 

दक्षिण दिशा में पांच धातु से बने ताले ही लगाने चाहिए. कहते हैं कि इससे घर में सुरक्षा बनी रहती है. यदि आपके पास पांच घातु से बने ताले नहीं है तो किसी भी ताले पर लाल या चेरी रंग चढ़ाकर आप इसे घर में लगाने के लिए प्रयोग कर सकते है.