जबलपुर. कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर दिन रात पसीना बहाकर रेल को निर्बाध रूप से चलाने वाले रेलकर्मी केन्द्र सरकार की उपेक्षा से खासे नजर आ रहे हैं. वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ के महामंत्री अशोक शर्मा ने बताया कि एनएफआईआर के महामंत्री एम. राघवैय्या व एनएफआईआर के कार्यकारी अध्यक्ष तथा डब्लयूसीआरएमएस के अध्यक्ष डॉ. आर.पी.भटनागर ने विगत दिवस बड़ा ऐलान करते हुये कहा कि बोनस को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल व रेलवे बोर्ड अध्यक्ष विनोद यादव से कई दौर की वार्ता के उपरांत भी अब तक केन्द्र सरकार ने बोनस की घोषणा नहीं की, जिससे मजबूर होकर एनएफआईआर ने रेल कर्मियों को बोनस नहीं मिलने की सूरत में पूरे भारतीय रेल में हड़ताल करने की बात कही.

श्री शर्मा ने कहा कि कोरोना संकट के बीच भारतीय रेल को चलाने वाले 13 लाख रेल कर्मचारी की लंबित मांगों को भी भारत सरकार पूरा नहीं कर रही है. उन्होने बताया कि रेल कर्मचारियो का करीब 2000 करोड़ रूपये बोनस पेंडिंग पड़ा है, जिसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियो को अभी तक नही किया गया है. यहां तक की कोरोना काल में रेलवे ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेल कर्मी काम कर रहे हैं, जिससे कोविड -19 संक्रमण के चलते अभी तक करीब 300 रेल कर्मचारी शहीद हो चुके है. इन रेलवे कर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना है.

डॉ. आर. पी. भटनागर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि भारतीय रेलवे नवरत्न है, लेकिन आज इसी नवरत्न का निजी करण का काम चल रहा है. एनएफआईआर इसे बिलकुल स्वीकार नहीं करेगा. संघ प्रवक्ता व कार्यकारी महामंत्री सतीष कुमार ने कहा कि बोनस रेलवे कर्मचारियों का हक है. 2019-2020 तक का लंबित बोनस रेल कर्मियों को मिलना चाहिए. वर्ष 1977 से यह लाखों रेलवे कर्मचारियों को अनवरत मिलता रहा है. इसके अलावा रेल कर्मी व पेंशनर्स के मंहगाई भत्ते की किष्त रोकी गई, वह भी अन्याय है. एनएफआईआर सभी रेल कर्मचारियों के साथ खड़ी है और मांगों को पूरा न होने पर देश भर में रेल का चक्का जाम कर दिया जायेगा.