नई दिल्ली/कोटा/जबलपुर. आल इंडिया रेलवेमैंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने रेलमंत्री के साथ आयोजित बैठक की शुरुआत में ही अपना एजेंडा तय करते हुए रेल कर्मचारियों की 18 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा और मांग की कि इन सभी मांगों को रेलमंत्री स्वीकार करें. यह बैठक नई दिल्ली में रविवार 11 अक्टूबर को आयोजित की गई. बैठक में श्री मिश्रा ने रेलमंत्री से दो टूक कह दिया दिया कि सरकार को हर हाल में रेल कर्मचारियों को प्रोडक्टिवी लिंक बोनस देना ही होगा औैर इसकी घोषणा की जाए.

इस संबंध में वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन (डबलूसीआरईयू) के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने बैठक शुरू होते ही 18 सूत्रीय मांग पत्र रेलमंत्री और अधिकारियों को उपलब्ध कराया. महामंत्री का कहना था कि एक तरफ रेल कर्मचारियों ने कोरोना के समय माल ढुलाई में 15 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी की है. इसके बाद भी अभी तक उनके बोनस का एलान नहीं किया गया है. इससे कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. बैठक में आश्वस्त किया गया है कि रेलवे बोर्ड से कर्मचारियों के बोनस के मामले को वित्त मंत्रालय को भेजा गया है. 

एआईआरएफ के सख्त रुख के चलते रविवार को हुई बैठक

इस संबंध में डबलूसीआरईयू के महामंत्री व एआईआरएफ के असिस्टेंट जल सेक्रेट्री मुकेश गालव ने बताया कि रेल कर्मचारियों की तमाम जायज मांगों पर भी रेलमंत्रालय खामोशी साधे हुए था, इस पर फैडरेशन ने भी सख्त रुख अख्तियार कर लिया था. महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने यहां तक ऐलान कर दिया था कि अगर बोनस पर कोई अड़चन पैदा की गई तो कर्मचारी बिना नोटिस के हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे.

फैडरेशन के सख्त रुख को देखते हुए रविवार को छुट्टी के बावजूद एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इस बैठक में रेलमंत्री पीयूष गोयल, रेलवे मंत्रालय के सीईओ विनोद कुमार यादव, डीजी एचआर डा. आनंद एस खाती और कमिश्नर फाईनेंस नरेश सकेचा के अलावा आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा मौजूद थे.

बैठक की शुरुआत में एआईआरएफ ने 18 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा

महामंत्री ने मीटिंग शुरु होते ही 18 सूत्रीय मांग पत्र रेलमंत्री और अधिकारियों को उपलब्ध करा दिया और कहाकि ये सभी ऐसे मसले हैं, जिस पर काफी समय से बात चल रही है, ज्यादातर मामलों में सहमति भी हो चुकी है, फिर भी आज तक आदेश जारी नहीं हो सका है. महामंत्री ने कहाकि एक तरफ रेलकर्मचारियों ने कोरोना के समय माल ढुलाई में 15 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी की, इसके बाद भी अभी तक उनके बोनस का ऐलान नहीं किया गया है, इससे कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ता जा रही है. बैठक में आश्वस्त किया गया है कि रेलवे बोर्ड से कर्मचारियों के बोनस के मामले को वित्त मंत्रालय को भेजा गया है, वहां कई बैठकें हो चुकी है, उम्मीद है कि जल्दी ही रेल कर्मचारियों के हित में बोनस का फैसला हो जाएगा. 

ग्रेड पे 1800 और 4600 का मुद्दा प्रमुखता से उठा

बैठक में महामंत्री ने ग्रेड पे 1800 और 4600 का मसला फिर उठाया और कहाकि इस मामले में फैडरेशन की कई बैठकें बोर्ड अधिकारियों के साथ खुद मंत्री की मौजूदगी में हो चुकी है, इस पर सहमति भी बन चुकी है, लेकिन आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया. कुछ ऐसे सवाल है, जिन्हें अधिक समय तक लटकाया नहीं जा सकता. बहरहाल बातचीत काफी सकारात्मक हुई, इसमें एलडीसीई को 10 फीसदी से बढ़ाया भी जा सकता है, इससे 1800 ग्रेड पे के कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर और बढ़ेगें. इसी तरह 4600 ग्रेड पे के बारे में भी जल्दी ही कुछ फैसला होने की उम्मीद बढ़ी है.

इन मुद्दों पर भी हुई विस्तार से चर्चा

श्री गालव ने बताया कि एक्ट अप्रेंटिस के सवाल पर भी काफी महत्वपूर्ण चर्चा हुई, एआईअरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि अब इस मामले में रेलवे बोर्ड अलग से फैसला करने में सक्षम है, देश की किसी भी अदालत से अब इस मामले में कोई अडचन नहीं है. इसलिए अप्रेंटिस को नौकरी देने के मामले में गंभीरता से विचार किया जाना जरूरी है. इस पर भी आगे चर्चा जारी रहेगी और जल्दी ही सकारात्मक रास्ता निकाला जाएगा.

30 साल की नौकरी, 55 आयु पर स्पष्ट हो रुख

बैठक में महामंत्री ने कहाकि इन दिनों रेल मंत्रालय में 30 / 55 को लेकर काफी चर्चा हो रही है, इससे रेल कर्मचारियों के कार्य पर भी असर पड़ता है. महामंत्री ने कहाकि इस भ्रम की स्थिति को खत्म किया जाना चाहिए, जिससे रेलकर्मी निश्चिंत होकर काम कर सकें. सीईओ ने कहाकि फिलहाल ये एक प्रक्रिया है, इस पर कुछ काम चल रहा है, लेकिन इससे कर्मचारियों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि और मेहनत से अपने काम को अंजाम देने की जरूरत है. लार्सजेस पर चर्चा के दौरान महामंत्री ने कहाकि इसके एवज में जो सैल्यूट स्कीम लाई गई है, उससे कर्मचारियों का कोई भला होने वाला नहीं है . रेलमंत्री ने कहाकि लार्सजेस के मामले में अलग से बैठकर बात करें और ऐसा सिस्टम तैयार करें, जिससे स्कीम की उपयोगिता बनी रहे.