ठाकुर कुमार सालवी, गंगरार (चितौड़गढ़). पूरे देश भर मे कोरोना महामारी के चलते आर्थिक व शैक्षणिक स्तर पर बड़ा नुकसान हुआ है. पूरा देश बन्द हुआ, साथ ही शिक्षण संस्थान बन्द है जिसके चलते बच्चों की पूरी तरह से पढ़ाई चौपट हो गई या यूं कहें कि पूर्ण रूप से खत्म हो चुकी है. वही वर्तमान समय में  शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की गई. जो समझ से परे है अगर देखा जाए तो देश भर में 20 प्रतिशत ही ऐसे अभिभावक है, जो अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दिलाने में समर्थ है. वही दूसरी ओर 80 प्रतिशत बच्चों का आखिर क्या होगा ? जिनके पास स्मार्ट फोन तक नही है.

वही दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या भी तो है. कोरोना महामारी के चलते जहां आम आदमी दो रोटी के लिए इधर उधर हाथ पांव मारता फिर रहा है. उसके बावजूद भी दो रोटी नसीब नही हो रही है, ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा का मात्र सपना ही है. साथ ही मोबाइल व ऐसे यंत्र बच्चो के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है और इन पर  उपलब्ध कुछ  सामग्री ऐसी है, जो बच्चो के लिए सही नही है.

एक रास्ता बंद हो जाने से, सारे रास्ते बंद नही होते है. ऐसे ही एक लगनशील युवक ने इसे सही साबित कर दिखाया है. अपने कुछ साथियो व स्टूडेंट्स के साथ मिलकर बच्चो को पढ़ाने का एक बेहतरीन विकल्प निकाला है.

वर्तमान मे जब कोरोना महामारी ने पूरे देश की गति रोक दी जहाँ शिक्षा को  लेकर सब दरवाजे बंद हो गए वही गंगरार, चित्तौड़गढ़ व  बोरदा कोटा मे संचालित एम टू प्रयास निःशुल्क शिक्षण अभियान ने गरीब व आर्थिक दृष्टि से झूझ रहे लोगों को शिक्षा उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया.  यही नहीं वर्तमान में कोरोना के प्रभाव के चलते जहॉ शैक्षणिक संस्थान व  कोचिंग सेन्टर सब कुछ बन्द हैं.

इस कठिन परिस्थिति में शिक्षण कार्य प्रभावित ना हो इसके लिये इसी अभियान में पढ़े हुए पूर्व छात्र, स्थापक मनोज मीना के निर्देशन में क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गॉवों में अलग अलग लगभग 80 से अधिक क्लासों में, 700 से  अधिक बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. यही नहीं पढ़ने वाले बच्चों के लिये पूर्ण सुरक्षा, सेनेटाईज करने तथा भवन उपलब्ध कराने का जिम्मा भी अभिभावकों ने ले रखा हैं. वही बच्चों को पढ़ाने के लिये खुले आसमान की छत हो, या खेत पर बने कमरे, जहॉ खाली जगह मिलती हैं वही पर छात्र बोर्ड लगा कर पढ़ाना शुरू कर देते हैं.

यह एक ऐसा अभियान हैं जहॉ पढ़ने वाले भी छात्र हैं और पढाने वाले भी छात्र. उक्त निःशुल्क शिक्षण अभियान के तहत पढ़ कर निकले बच्चे अपने से छोटी क्लासों में अध्ययन कराते हैं. वही उक्त सभी चलने वाली क्लासों में अध्ययन की पूर्णतया गुणवत्ता हो, समय पर क्लासों का संचालन हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है.

बच्चे को एम टू में पढाने के लिए भी नियम हैं

एम टू प्रयास निःशुल्क शिक्षण अभियान में पढने के लिये भी नियम बनाये गये हैं. जिनमें उनका सरकारी स्कूल में अध्ययनरत होना आवश्यक हैं. वही सलेक्शन होने के बाद दस जामुन के पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करना अनिवार्य रखा गया हैं. वही पढ़ने वाले बच्चों को शपथ दिलवाई जाती हैं कि वे भी आगे बच्चों को निःशुल्क पढायेंगे.

 उक्त अभियान में बच्चे ही एक दूसरे के शिक्षक हैं. बच्चे ही आपस में अपना आकलन करते हैं तथा बड़ी कक्षाओं के बच्चे छोटी कक्षाओं को पढाते हैं. जिसके चलते उनका आत्मविश्वास बढ़ता हैं.
M-2 प्रयास  निःशुल्क शिक्षण अभियान ग्रामीण शिक्षा के लिए कार्य करता है. जिसकी  शुरूआत कॉलेज में पढ़ने वाले मनोज मीना ने सन् 2013 में की. उस समय पहले ही वर्ष में 3 बच्चों का नवोदय विद्यालय एवं 2 बच्चों का सैनिक स्कूल में चयन हुआ. इसी परिणाम को देखते हुए, विद्यानिकेतन विद्यालय ने मीना का निःशुल्क भवन उपलब्ध कराया. जहॉ बच्चे दो घंटे प्रतिदिन निःशुल्क अध्ययन करने लगे. निःशुल्क शिक्षा का कारवा बढ़ता गया और अब गंगरार के आस पास के क्षेत्र, तीस से चालीस किलोमीटर दूर से भी अभिभावक अपने बच्चों को लेकर पढ़ाने के लिये पहूॅचने लगे है.

वही इसी अभियान के तहत सत्र 2013-14 में नवोदय में 3 व सैनिक स्कूल में 2, सत्र 2014-15 में नवोदय में 6 व सैनिक स्कूल में 1, सत्र 2015-16 में नवोदय में 10, सत्र 2016-17 में नवोदय में 11 व सैनिक स्कूल में 1, सत्र 2017-18 में नवोदय में 17 व सैनिक स्कूल में 1, सत्र 2018-19 में नवोदय में 28 एवं सत्र 2019-20 में नवोदय में 23 व सैनिक स्कूल में 1 बच्चे का चयन हुआ हैं. और शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित विशेष पूर्व मेट्रिक छात्रवृत्ति परीक्षा 2020-2021 योजना तहत 13 बच्चो चयन हुआ है. अभी तक इस अभियान के तहत 117 बच्चों का चयन हुआ हैं. वही अब तक 400 से अधिक बच्चे अध्ययन कर चूके हैं.

एम टू प्रयास निःशुल्क अभियान एक नजर.

जैसा कि कहा गया कि किसी भी देश व गांव का विकास  उसकी शिक्षा पर निर्भर करता है.और ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में एम टू प्रयास तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है. यह विगत सात वर्षों की अथक मेहनत का परिणाम है. यह सब सम्भव हुआ एक युवा छात्र के अथक प्रयास से आज से सात वर्ष पूर्व मनोज मीना गंगरार क्षेत्र में मेवाड़ विश्वविद्यालय में बीटेक की पढ़ाई पढ़ने आये. उसी दौरान 19 सितम्बर 2013 को दो-तीन बच्चों से पढ़ाने का कार्य शुरू किया. धीरे धीरे बच्चो की संख्या बढ़ने लगी.

 प्रतिदिन शाम 5 से 7 बजे तक व अवकाश के दिन, दिन भर बच्चो को निःशुल्क पढ़ाने का कार्य शुरू हुआ और कक्षा पांच व कक्षा आठ के बच्चो को नवोदय प्रवेश परीक्षा व सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाने लगी. और देखते ही देखते दूर दराज से बच्चे गंगरार पढ़ने आने लगे. मनोज मीना ने ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में, समान शिक्षा के लिए एक नया मॉडल बनाने का कार्य किया जिसका नाम एम टू प्रयास निःशुल्क शिक्षण अभियान रखा गया.

यहा बच्चे से शिक्षा के नाम पर पैसा नही अपितु यह वचन लिया जाता है कि वह भी भविष्य में गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करेगा. मीना ने इस  अभियान के लिए अपनी छात्रवर्ती व घर से मिलने वाली पॉकेट मनी भी इस अभियान में खर्च कर दी.

सरकारी विद्यालयों का बढा नामांकन

इस अभियान ने सरकारी विद्यालय के बच्चो को प्राथमिकता प्रदान की जिसके चलते सरकारी विद्यालयो मे बच्चो का नामांकन भी काफी हद तक बढ़ा है.  और क्षेत्र मे शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है. जो स्वर्णिम भविष्य की और अग्रसर है.