नई दिल्ली  . देश के टॉप ब्रांड्स में काम करनेवाली महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा सेक्सुअल हरेसमेंट इन्हीं कंपनियों में होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, विप्रो कंपनी में सबसे अधिक यौन उत्पीड़न की शिकायतें कार्यस्थल अधिनियम, 2013 के तहत दर्ज की गई हैं. अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, कंपनी ने कहा कि FY20 में दायर की गई 125 शिकायतों में से 98 का निपटारा किया गया था. बैंकिंग क्षेत्र में, आईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक ने वित्त वर्ष 2015 में PoSH मामलों के लिए प्रत्येक शिकायत की 52 शिकायतें दर्ज की गई थीं. आईसीआई बैंक में, सभी 52 शिकायतों को FY20 में हल किया गया था, जबकि एचडीएफसी बैंक में, 52 शिकायतों में से चार FY20 के अंत तक लंबित थीं.

बतादे कि  देश के टॉप बैंक आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, एक्सिस बैंक के साथ टॉप आईटी कंपनी टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस में महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा सेक्सुअल हरेसमेंट होता है. यह जानकारी कंपनियों की सालाना रिपोर्ट से मिली है. तो वही निफ्टी-50 में शामिल कंपनियों में महिला कर्मचारियों के साथ सेक्सुअल हरेसमेंट के मामले में 8 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है. वित्त वर्ष 2020 में इन कंपनियों में इस तरह के कुल 761 मामले सामने आए हैं. इसमें सबसे टॉप पर आईटी कंपनियां हैं. इस सेक्टर से कुल 340 शिकायतें इस तरह की मिली हैं. हालांकि, इसी दौरान यह भी देखा गया है कि महिला कर्मचारियों में इस तरह की घटना को लेकर अवेयरनेस फैला है जिसमें वो अपने अधिकार और अलर्ट को लेकर बात करती हैं.

दरअसल एफएमसीजी कंपनी HUL ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशिष्ट उपाय किए हैं. एचयूएल में दफ्तर के अंदर महिला कर्मचारियों को 8.30 बजे से पहले तक ही शिफ्ट होती है. यदि कोई महिला कर्मचारी देर तक काम कर रही है तो उसे कारण बताना होता है ताकि कर्मचारी के लाइन मैनेजर को एक अलर्ट भेजा सके. महिला कर्मचारी को सुरक्षित घर पहुंचाना सुनिश्चित किया जाता है. उन्हें सेफअली घर तक पहुंचाने के लिए कैब की व्यवस्था की जाती है. निफ्टी में शामिल कंपनियों ने सालाना रिपोर्ट में कहा है कि वे सेक्सुअल हरेसमेंट की रोकथाम के लिए अपने ऑफिस में वर्कशॉप का आयोजन करते हैं. आईसीसी की रिपोर्ट के बाद पुरुष कर्मचारियों के लिए सेंसेटाइजेशन सेशन किया जाता है. इसमें यह भी फाइनल किया जाता है कि इस तरह की शिकायतों पर क्या कार्रवाई कर्मचारियों पर की जानी चाहिए.

गौरतलब है कि मानव संसाधन  की ओर से यह भी कहा गया है कि #MeToo (मीटू) जैसे अभियान से महिलाओं को अपने सहयोगियों द्वारा सेक्सुअल मिसकंडक्ट के खिलाफ बोलने का मौका मिला है. बता दें कि अक्टूबर 2018 में #MeToo आंदोलन को दुनियाभर में बल मिला जिससे कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे को सबसे आगे लाया गया. इस अभियान के दौरान कई मशहूर हस्तियों को कथित अपराधी के रूप में सामने लाया गया था.