व्यावसायिक गतिविधियों को चलाने के लिए ऑफिस की आवश्यकता होती है. ऑफिस आपके कार्य के अनुसार छोटा और बड़ा हो सकता है. वास्तु की दृष्टि से ऑफिस बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह आपके काम को प्रभावित करता है. ऑफिस में सबसे पहले कंपनी के चेयरमैन या डायरेक्टर का कक्ष मुख्य रूप से बड़ा होना चाहिए. कक्ष या केबिन हमेशा दक्षिण पश्चिम की ओर ही बनाना चाहिए. इससे कंपनी के अंतर्गत आने वाले सभी कर्मचारियों पर दृष्टि रखी जा सके और उसका प्रभाव पूरे ऑफिस के स्टाफ पर पड़े. इसके बाद सहायक पार्टनर अथवा मेंटीनेंस अधिकारी का कक्ष होना चाहिए. उत्तर दिशा में अकाउंटेंट की व्यवस्था करनी चाहिए तथा स‌भी वाणिज्यिक गतिविधियां उसी दिशा में होनी चाहिए.

मार्केटिंग के लिए सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पश्चिम यानी वायव्य है. इस दिशा में मार्केटिंग वर्ग के कर्मचारियों को बैठना चाहिए. कंपनी की मेंटेनेंस के लिए जो व्यक्ति जिम्मेदार होता है उसे पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए. ऑफिस में विशिष्ट ग्राहकों के साथ वार्ता करने के लिए अथवा सेमिनार आदि करने के लिए एक बड़ा कक्ष भी होना चाहिए. इसमें मुख्य रूप से ऑफिस के डायरेक्टर की कुर्सी अथवा सोफा दक्षिण की ओर होना चाहिए और जिन लोगों के साथ में मीटिंग कर रहे हैं वे उनके सामने होने चाहिए. मीटिंग रूम पूर्व अथवा उत्तर पूर्व में श्रेष्ठ माना गया है.

ऑफिस में पुराने रिकॉर्ड दक्षिण-पश्चिम की ओर की सेफ में रखे जाने चाहिए और नए रिकॉर्ड या कंपनी का डाटा यह सब उत्तर या पूर्व की ओर रखें. ध्यान रहे उत्तर-पूरब की ओर अधिक वजनी सामान न रखें . ऑफिस में पैंट्री भी होती है जहां पर चाय आदि की व्यवस्था निरंतर चलती रहती है. पैंट्री हमेशा दक्षिण और पूर्व के कोने पर बनानी चाहिए. पैंट्री को एक यूनिट मानते हुए उसके उत्तरी भाग में पानी रखें अथवाआरओ लगाएं.

ऑफिस में चेयरमैन या चेयरमैन कक्ष के उत्तर-पूरब की ओर या पूरे ऑफिस के उत्तर-पूर्व में एक छोटा सा मंदिर में लगाना चाहिए ताकि प्रातःकाल आकर सब लोग उनके दर्शन करें. धूप-दीप आदि नियमित रूप से जलाएं. ऑफिस में शराब पीना, नॉनवेज खाना एवं डांस पार्टी करना वास्तु के हिसाब से ठीक नहीं है. यदि ऐसा करना है तो यह सब ऑफिस से बाहर करें. अपने ऑफिस के मुख्य द्वार पर शुभ लाभ अंकित करें.

लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति अपने मंदिर में रखें और यदि हो सके तो उत्तर दिशा में एक पवन घंटी टांग दें ताकि उसी मधुर आवाज से ऑफिस का वातावरण हमेशा चहचाहता रहे. इससे ऑफिस में सद्भाव और परस्पर सहयोग का वातावरण निर्माण होता है. ऑफिस में ध्यान रखें  कि किसी भी चतुर्थ श्रेणी के व्यक्ति को डांटे नहीं. किसी महिला कर्मचारी का अपमान ना करें. हो सके तो उन्हें विशेष अवसरों पर सम्मानित करें.