वास्तु शास्त्र में जानिए काटने के बाद पेड़ के गिरने की दिशा से मिलने वाले फलों के बारे में. पेड़ को काटते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पेड़ कटने के बाद किस दिशा में गिरेगा, क्योंकि अलग-अलग दिशाओं में पेड़ के कटकर गिरने से अलग-अलग शुभ-अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

आपको बता दूं- अगर पेड़ कटकर गिरने के बाद पूर्व दिशा में गिरे तो धन-धान्य की वृद्धि होती है. अगर आग्नेय कोण, यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में गिरे तो अग्नि का भय होता है. दक्षिण दिशा में गिरे तो कई तरह की परेशानी आ सकती है. नैऋत्य कोण, यानी दक्षिण-पश्चिम दिशा में गिरे तो परिवार में कलह होती है. पश्चिम दिशा में गिरे तो चोर का भय होता है. उत्तर दिशा में गिरे तो धन का आगमन होता है और ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में वृक्ष गिरे तो वह अत्यंत श्रेष्ठ फल देने वाला होता है.

किसी भी पेड़ को काटने से पहले उसकी विधि-पूर्वक पूजा जरूर करनी चाहिए. इसके लिये सबसे पहले गन्ध, पुष्प और नैवेद्य से वृक्ष की पूजा करें. फिर उसके तने को साफ वस्त्र से ढक्कर, उस पर सफेद रंग का सूत लपेट दें. फिर वृक्ष से प्रार्थना करें कि इस वृक्ष पर जो प्राणी वास करते हैं, उनका कल्याण हो, उन्हें मेरा नमस्कार है. आप मेरे दिये हुए उपहार को ग्रहण कर, अपने वास स्थान को किसी अन्य जगह पर ले जायें.

साथ ही कहें- हे वृक्षों में श्रेष्ठ. आपका कल्याण हो. गृह और अन्य कार्यों के निमित्त मेरी यह पूजा स्वीकार करें. इस प्रकार पूजा आदि के बाद जल से वृक्ष को सींचकर मधु और घी लगे कुल्हाड़े से पूर्व से उत्तर दिशा की तरफ पेड़ के चारों ओर घूमने के क्रम में भली प्रकार उस वृक्ष को काटें. वृक्ष को गोलाई में काटना चाहिए और फिर उसके गिरने को देखना चाहिए. 

किसी भी वृक्ष को काटे जाने के लिये मृगशिरापुनर्वसु, अनुराधा, हस्त, मूल, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, स्वाति और श्रवण नक्षत्र शुभ होते हैं.

साभार:rgyan.com