उमा कुमारी
पटना, बिहार
ना बनूं मैं वकील या डॉक्टर.
ना बनूं मैं कोई राजा और सम्राट.
बनूं तो बनूं मैं एक निस्वार्थ वृक्ष..
और करूं मैं सब की सेवा.
कड़ी धूप में भी खड़ा रह कर.
दे सकूं मैं सबको छाया..
गर्म धरती को रखूं ठंडा.
और दूं उसको एक काया..
भूखे का खूब पेट भरूं.
और दूं सबको प्यार..
ना लूं मैं किसी का खाना.
ना लूं मैं कोई सहारा.
मैं रहूं या ना रहूं मगर.
बन जाऊं धरती का प्यारा.
मैं बन जाऊं एक निस्वार्थ वृक्ष..
(चरखा फीचर)
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार में दर्दनाक हादसा: गैस सिलेंडर में लीकेज से लगी भीषण आग, मां और तीन बच्चों की मौत, 2 गंभीर
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