अभिमनोज. ईवीएम-वीवीपैट को लेकर उपजे संदेह के मद्देनजर सवाल-जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है!
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि- हम संदेह के आधार पर आदेश जारी नहीं कर सकते हैं, अदालत चुनाव की नियंत्रण अथॉरिटी नहीं है. ईवीएम से जुड़े संदेह और सवालों को लेकर अदालत ने कहा कि- हमारे कुछ सवाल थे, जिनके जवाब दे दिए गए हैं, अभी हमने फैसला सुरक्षित रखा है.
खबरों की मानें तो इस मामले में अदालत का यह भी कहना था कि- अभी तक गड़बड़ी की एक भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है, लेकिन.... हम साथ में ये भी देख रहे हैं कि क्या ज्यादा वीवीपैट के मिलान का आदेश दिया जा सकता है.
इस सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से कहा कि- क्या हम संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी कर सकते हैं?
क्योंकि.... जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं, उसमें कहा गया है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है.
और.... हम किसी दूसरे संवैधानिक अथॉरिटी को नियंत्रित नहीं करते है, हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते.
अदालत का यह भी कहना था कि- हमने इस मामले में दो बार दखल दिया, यदि कुछ सुधार की जरूरत है तो सुधार करेंगे.
इस सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने बताया कि- हमने चुनाव आयोग से भी सवाल पूछा था, चुनाव आयोग का कहना है कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता, वे फ़्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते, बल्कि चुनाव चिन्ह अपलोड करते है, जो कि इमेज की शक्ल में होता है, हमे तकनीकी मामलों में चुनाव आयोग पर यकीन करना ही होगा.
हालांकि.... इस मामले में प्रशांत भूषण का कहना था कि- वे चुनाव चिन्ह के साथ-साथ कोई ग़लत प्रोगाम भी तो अपलोड कर सकते हैं, मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है, जिस पर अदालत ने कहा कि- हम आपकी दलील को समझ गए, हम फैसले में इसका ध्यान रखेंगे.
उल्लेखनीय है कि- ईवीएम को हैक किया जा सकता है या नहीं, इसे लेकर लंबे समय से सवालिया निशान गहराया हुआ है, सुप्रीम कोर्ट ने उपलब्ध तथ्यों के आधार पर फैसला किया है, इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और जिन्हें अब भी संदेह है, उन्हें पुख्ता सबूत जुटाने चाहिए!
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