#BabaRamdev के अपने ही तौर-तरीकों ने उन्हें उलझा दिया है, अब मामला सुलझना इतना आसान नहीं है?

#BabaRamdev के अपने ही तौर-तरीकों ने उन्हें उलझा दिया है, अब मामला सुलझना इतना आसान नहीं है?

प्रेषित समय :22:04:20 PM / Thu, Apr 18th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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अभिमनोज. अपने अनियंत्रित दावों-बयानों के लिए जाने जानेवाले योग गुरु बाबा रामदेव इन दिनों बड़ी उलझन में हैं, वजह?
बाबा रामदेव के अपने ही तौर-तरीकों ने उन्हें उलझा दिया है, अब मामला सुलझना इतना आसान नहीं है!
यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को नजरअंदाज करना उन्हें भारी पड़ गया है.
खबरों की मानें तो इस मामले की शुरुआत 17 अगस्त 2022 को तब हुई, जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें कहा गया कि- बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि ने कथित तौर पर कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी दवाओं के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करते हुए अपने विज्ञापन में आयुर्वेदिक दवाओं से इन बीमारियों के इलाज का दावा किया, इतना ही नहीं, पतंजलि ने अपने विज्ञापन में यह भी दिखाया कि उनके उत्पादों से कोविड जैसी महामारी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, इतना ही नहीं, उन्होंने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी दावों के खिलाफ अपमानजनक प्रचार भी किया और जानबूझकर पूरा कैंपेन भी चलाया.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी इस याचिका में पतंजलि पर दो कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया है.... एक- ड्रग एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और दो- कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019. 
उल्लेखनीय हैं कि- औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के अनुसार जब तक वैज्ञानिक तरीके से यह प्रमाणित नहीं हो जाता है कि किसी दवा से बीमारी विशेष को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, तब तक उसके बारे में प्रचार और भ्रामक दावा करना कानूनन अपराध है. कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट कहता है कि- कोई व्यक्ति/कंपनी, उपभोक्ता को गुमराह नहीं कर सकती, झूठे और भ्रामक विज्ञापन नहीं दिखा सकती है, यदि कोई ऐसा करता है तो उसके विरूद्ध कानूनी होगी.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जब सुप्रीम कोर्ट गया, तो नवंबर 2023 में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को तुरंत भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने को कहा, पतंजलि ने इसके लिए हां तो कर दी, लेकिन इसके ठीक बाद बाबा रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें एलोपैथी को लेकर विरोध में अनेक दावे किए.
इसके बाद तो सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया और 16 अप्रैल 2024 को सुनवाई के दौरान अदालत ने बाबा रामदेव से उस प्रेस कांफ्रेंस के बारे में सवाल किया.
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि- पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा था कि- अब से पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा, लेकिन- ऐसा नहीं हुआ, जबकि.... पतंजलि इस तरह के आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य है!
अब यह मामला अदालत में चल रहा है और बाबा रामदेव को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि.... सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की इजाजत दे दी है, दोनों को माफी मांगने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है और आगे मामले की सुनवाई 23 अप्रैल 2024 को करना तय किया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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