डॉ. सत्यवान सौरभ. एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी को झेल रही है, तो वहीं दूसरी तरह प्रकृति भी नाराज है. दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आकाशीय बिजली, बाढ़, आगजनी, तेल रिसाव और भूकंप के झटके महसूस करवा रहे है कि मानव तू ठहर जा जरा.. अंधाधुंध विकास कि होड़ में हमने प्रकृति कि कदर करनी छोड़ दी या फिर हमने ऐसी प्राकृत घटनाओं से निपटने की योजना बनाने की बजाय दूसरों ग्रहों पर जीवन ढूंढने में ताकत लगा दी कि हमारे पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई, भारत में भी लोग ऐसी घटनाओं से  खोफ्जदा है.

दिल्ली से सटे हरियाणा के रोहतक की धरती पिछले कई दिनों से भूकंप के झटकों से काँप रही हैं, पिछले तीन महीने में 15 से ज्यादा बार दिल्ली-एनसीआर की धरती कांप चुकी है. वहीं हरियाणा में भी लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. यहां के लोग घरों के अंदर बार-बार आ रहे इन झटकों से परेशान है तो बाहर कोरोना का डर इनको न जीने दे रहा न मरने दे रहा. उत्तर भारत के अधिकांश शहर गंभीर और मध्यम तीव्रता के भूकंपीय खतरे से जूझ रहे हैं.

ऐसा इंडो-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट का यूरेशियन प्लेट के टकराने और फॉल्ट लाइन के एक्टिव होने से होता है. हाल ही में उत्तर भारत में भूकंप के झटके इसी का परिणाम है दिल्ली और हरियाणा के इलाकों में पांच मुख्य फॉल्ट-रिज लाइन  दिल्ली-हरिद्वार कगार,महेंद्र गढ़-देहरादून भ्रंश,मुरादाबाद भ्रंश,सोहना भ्रंश,ग्रेट बाउंड्री भ्रंश और दो अन्य दिल्ली-सरगोडा कगार,यमुना तथा यमुना गंगा नदी की दरार रेखाएँ हैं जिसमे से महेंद्रगढ़-देहरादून एक्टिव मॉड में आ चुकी है जिससे आजकल पूरा उत्तर भारत काँप रहा है.

हमें आजकल किसी क्षेत्र में बड़े भूकंप के आने से पूर्व की थोड़ी सूचना तो मि जाती है. हालाँकि इस बात का स्पष्ट पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है कि  कम तीव्रता के भूकंपीय झटकों के बाद कोई बड़ा भूकंप आएगा नहीं मगर एक मजबूत भूकंप की संभावना को कभी खारिज भी नहीं किया जा सकता है. भूकंप तथा विवर्तनिक व्यवस्था के आधार भारत को चार ‘भूकंपीय ज़ोनों’ में (II, III, IV और V) वर्गीकृत किया गया हैं. भूकंपीय ज़ोन V और IV में बड़े भूकंप की संभावना है जो पूरे हिमालय तथा दिल्ली -एनसीआर क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है.

रोहतक और आस- पास के  इलाकों में आये भूकंप के झटके महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन के एक्टिव होने से आये है इसके एक्टिव होने से  से उत्तर भारत केदिल्ली-हरिद्वार रिज फॉल्ट लाइन और दिल्ली-सरगोदा फॉल्ट लाइन के क्षेत्रों में प्रभाव पड़ता है. मथुरा फॉल्ट लाइन में  सक्रियता के कारण ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद तक भूकंप के झटके आ चुके हैं.

मथुरा फॉल्ट लाइन से ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद व दिल्ली का क्षेत्र प्रभावित होता है. सोहना फॉल्ट लाइन से गुरुग्राम क्षेत्र बेहद ज्यादा प्रभावित होता है. वैसे भी महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन दिल्ली से सटे हरियाणा के रोहतक शहर के ठीक नीचे से गुजरती है जिसके कारण जमीन के अंदर की मामूली हलचल भी भूकंप के रूप ले लेती है और वहां की धरती काँप उठती है. दरअसल पृथ्वी के नीचे टैक्टोनिक प्लेटों में दरार होती है और जब इन दरारों में हलचल होती है,तो वो आसपास का इलाका काँप उठता हैं

हरियाणा के 12 जिले भूकंप के लिए अति संवेदनशील हैं  रोहतक के गाँव चुलियाणा में भूकंप जिस केंद्र पर आया वो एरिया महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट का हिस्सा है. महेंद्रगढ़-देहरादून फॉल्ट लाइन हरियाणा के महेंद्रगढ़ से  झज्जर, रोहतक, सोनीपत, पानीपत को कवर करते हुए उत्तराखंड के देहरादून में हिमालय के नीचे चली जाती है और हिमालय से जुड़े होने की वजह से इस फॉल्ट में हलचल बनी रहती है. इस फॉल्ट लाइन पर छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं जो कभी-कभी हमें ज्यादा महसूस हो जाते है भूवैज्ञानिकों के अध्ययन अनुसार महेंद्रगढ़-दूहरादून फॉल्ट जमीन की सतह से करीब एक किलोमीटर तक गहरा है.

चुलियाणा एरिया रहा इसी फॉल्ट एरिया में आता है जो भूकंप के लिए काफी संवेदनशील है दिल्ली-एनसीआर को दूसरे उच्चतम भूकंपीय खतरे वाले क्षेत्र (ज़ोन IV) के रूप में पहचाना गया है. जोन-चार में आने वाले जिले संवेदनशील माने जाते हैं. जोन-तीन कम प्रभावित क्षेत्र, जबकि जोन-दो में भूकंप आने की बेहद कम संभावनाएं हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्ली’  में हाल ही में आए भूकंप के झटकों की श्रृंखला असामान्य नहीं है जोन-4 में भूकंप से नुकसान की अधिक संभावना होती है. रोहतक के साथ-साथ आस -पास के लोगों  को भी भविष्य में भूकंप के झटके सहने को तैयार रहना चाहिए.

वैसे तो भूकंप का सामान्यत: पूर्वानुमान संभव ही नहीं हैं. हाँ ये हमें पता है कि भारत के  भूकंपीय ज़ोन V और IV में बड़े भूकंप की संभावना है जो पूरे हिमालय तथा दिल्ली -एनसीआर क्षेत्र को हिल्ला सकता है. दिल्ली के आस-पास के रोहतक वाला क्षेत्र भूकंप से उच्च क्षति जोखिम वाले क्षेत्र में स्थित है. 15 मई 2020 के बाद से, नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने यहाँ बहुत से  छोटे भूकंप दर्ज किए हैं, जो कि रिक्टर पैमाने पर 1.8 से 4.5 तक हैं, जिसमें फरीदाबाद, रोहतक और नई दिल्ली शामिल हैं.
 
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि राष्ट्रीय राजधानी हिमालय की तलहटी में आने वाले बड़े पैमाने पर भूकंप का गवाह बन सकती है. दिल्ली जैसे घनी आबादी वाले शहर में तो इस तरह के भूकंप का प्रभाव "भारी नुकसान" हो सकता है. इसलिए समय रहते जीवन तथा संपत्तियों के नुकसान को कम करने का एकमात्र उपाय भूकंप के खिलाफ प्रभावी तैयारी है. इस मामले में जापान जैसे देशों के साथ बेहतर सहयोग स्थापित किया जा सकता है.साथ ही हमें नगरीय नियोजन तथा भवनों के निर्माण में आवश्यक भूकंपीय मानकों को  सख्ती से लागू किये जाने की आवश्यकता है. याद रहे कि भूकंपीय आपदा के प्रबंधन के लिए लोगों की भागीदारी, सहयोग और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है.

वैज्ञानिकों ने भी केंद्र और दिल्ली सरकारों से निवारक उपाय करने और जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया है. साथ ही हमें भविष्य के लिए  सिंथेटिक आर्टिकुलर रडार तकनीक विकसित करनी होगी, जिसकी  रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग भूकंप की घटना और पैमाने का आकलन करने के लिए किया जा सके. अब आगे से मकानों, इमारतों, पुलों को भूकंपरोधी बनाने की आंदोलनकारी पहल होनी चाहिए. इसके साथ-साथ लोगों को अपने घरों को सुरक्षित और भूकंप प्रतिरोधी बनाने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में इन तकनीकों को अपनाना चाहिए.


चित्रांकन: आदित्य सुरेश एवं अंजलि सुभाष 

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