नई दिल्ली. देश में अप्रैल 2020 तक देश में 44 प्राईवेट ट्रेनें दौड़ेंगी. भारतीय रेलवे ने इसके लिये 30,000 करोड़ रुपए के प्राइवेट ट्रेन प्रॉजेक्ट के लिये 109 जोड़ी रूट्स पर रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशंस को आमंत्रित की है.

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने गुरुवार को कहा कि निजी ट्रेनों का आइडिया है कि वे सभी बड़े अधिक डिमांड वाले रूट्स पर सभी यात्रियों को कन्फर्म सीट उपलब्ध करा सकें. भारतीय रेलवे जिन ट्रनों को पहले से चला रही है, उनके अलावा ये निजी ट्रेनें इस डिमांड को पूरा करने में मदद करेंगी.

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि सभी प्राइवेट ट्रेनों में ड्राइवर्स और गाड्सज़् भारतीय रेलवे के होंगे. 95 प्रतिशत संचालन में प्रदर्शन के मानकों का पालन नहीं होता है तो उनपर जुर्माना लगाया जाएगा. प्राइवेट कंपनियों को फिक्स्ड हॉलेज चार्ज देना होगा. इसके साथ ही यादव ने कहा कि भागीदारी के साथ-साथ ट्रेनें भी निजी कंपनियों को ही लानी होंगी और उनकी देखभाल भी उन्हीं के जिम्मे होगी.

सरकार ने 5 प्रतिशत ट्रेनों के निजीकरण का फैसला किया है. यह पीपीपी मॉडल के तहत होगा. बाकी 95 प्रतिशत ट्रेनें रेलवे की तरफ से ही चलाई जाएंगी. सभी प्राइवेट ट्रेन 12 क्लस्टर में चलाई जाएंगी. ये क्लस्टर-बेंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, पटना, प्रयागराज, सिकंदराबाद, हावड़ा होंगे.

दिल्ली कलस्टर 1 में 7 जोड़ी ट्रेनें चलेंगी और प्रत्येक ट्रेन में 12 बोगी होंगे. इसी तरह दिल्ली कलस्टर 2 में 6 जोड़ी ट्रेन चलेगी और हरेक ट्रेन में 12 बोगी होंगे. चेन्नई कलस्टर में 12 जोड़ी ट्रेनें चलेंगी जबकि सबसे ज्यादा 13 जोड़ी ट्रेनें प्रयागराज कलस्टर से रवाना होगी. इन कलस्टर्स से चलने वाली ट्रेनें औसतन 1000 किमी दूरी तय करेगी.

इन प्राइवेट ट्रेनों में से अधिकतर ट्रेनें कम से कम 16 कोच के साथ होंगी और इनका निर्माण भारत में किया जाएगा. ट्रेनों का लक्ष्य यात्रियों के लिए यात्रा के समय को कम करना होगा. ट्रेनों की क्षमता 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को हासिल करने की होगी. भारतीय रेलवे जिन ट्रनों को पहले से चला रही है, उनके अलावा ये निजी ट्रेनें इस डिमांड को पूरा करने में मदद करेंगी.

अलग-अलग रूट पर चलने वाली प्राइवेट ट्रेनों का किराया कितना होगा, इसको लेकर रेलवे बोडज़् की तरफ से कहा गया कि यह हवाई किराए के मुकाबले होगा. किराया एसी बस और हवाई किराया को ध्यान में रख कर तय किया जाएगा. प्राइवेट ट्रेन किस तरह परफॉमज़् कर रही हैं, उसके लिए एक स्पेशल मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा और परफॉमेज़्ंस रिव्यू होगा.

प्रौद्योगिकी के बेहतर होने से रेलगाड़ी के जिन कोचों को अभी हर 4,000 किलोमीटर यात्रा के बाद रखरखाव की जरूरत होती है तब यह सीमा करीब 40,000 किलोमीटर हो जाएगी. इससे उनका महीने में एक या दो बार ही रखरखाव करना होगा.

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