नजरिया. मोदी-शाह की सियासी जोड़ी लगातार न केवल बीजेपी का कांग्रेसीकरण कर रही है, बल्कि स्वदेशी आंदोलन जैसे अच्छे अभियानों को भी इन छह वर्षों में ढेर कर दिया गया है?

ताजा, एमपी में शिवराज सिंह सरकार में अब 34 मंत्री हैं, जिनमें से करीब चालीस प्रतिशत पूर्व कांग्रेसी हैं, जबकि साठ प्रतिशत भाजपाई हैं! मजेदार बात यह है कि जो पूर्व कांग्रेसी, 14 मंत्री हैं, इनमें से अभी एक भी विधायक नहीं है? जिस कांग्रेस को भ्रष्ट कहते-कहते बीजेपी ने इतने साल निकाल दिए, अब उसी कांग्रेस के पूर्व सदस्य एमपी में बीजेपी सरकार का नेतृत्व करेंगे और बीजेपी के लिए संघर्ष करने वाले समर्पित कार्यकर्ता इन पूर्व कांग्रेसियों के लिए विधानसभा उप-चुनाव में प्रचार करेंगे?

सारी जिंदगी, कांग्रेस की मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध करने वाले संघ समर्थक मजदूर संगठन क्या पीएम मोदी सरकार की मजदूर नीतियों से सहमत हैं?

लाॅकडाउन के दौरान शहरी नर्क से परेशान होकर सैकड़ों किमी पैदल चल कर अपने घर पहुंचने वाले मजदूरों का दर्द किसी को नहीं दिखाई दिया क्या?

धोखेबाज चीन को इन छह वर्षों में भारत में इतना बड़ा बाजार देकर स्वदेशी आंदोलन की कमर किसने तोड़ी है? अब चीन के बहिष्कार का नाटक क्यों?

इन छह वर्षों में आम जनता से जो बेशर्मी से पेट्रोल, डीजल, गैस आदि के दाम वसूले गए, क्या वे सही थे?

जिस मध्यमवर्ग के दम पर बीजेपी खड़ी हुई है, पीएम मोदी सरकार ने उस मध्यमवर्ग का क्या हाल किया है, यह सबके सामने है?

सत्ता की अंधी चाहत में जिस तरह से देश को कोरोना के हवाल कर दिया गया, क्या वह सही था?

कैसे भी सत्ता हांसिल करने के लिए सियासी जोड़-तोड़ करना क्या स्वीकार्य है?

बीजेपी में तो मोदी-शाह की गलत नीतियों का विरोध करने लायक नेताओं को बहुत पहले ही अघोषित तौर पर सियासत से सेवानिवृत करके संगठन पर एकाधिकार कायम कर लिया गया था, लिहाजा बीजेपी में छाई चुप्पी तो समझ में आती है, लेकिन.... सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि पीएम मोदी सरकार की गलतियों और अनैतिक फैसलों पर संघ क्यों खामोश है?

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