प्रदीप द्विवेदी. कहां तो कोरोना संकट में राजस्थान के लोग बिजली बिल माफी की उम्मीद लगाए बैठे थे और कहां जून माह में आए बिजली के बिलों ने खाली जेबों में करंट मारना शुरू कर दिया है.

हालत यह है कि न तो बिजली के बिलों का हिसाब लोगों को समझ में आ रहा है और न ही वे बिल चुका पाने की हालत में हैं.

याद रहे, लाॅकडाउन के चलते प्रदेश में बिजली के बिल स्थगित कर दिए गए थे. लेकिन, अब एकसाथ कई माह के बिल औसत रीडिंग के आधार पर आ गए हैं.

लोगों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अभी तो इंकम शुरू ही नहीं हुई, तो इतने माह का बिल एकसाथ कैसे चुकाएं.

इधर, राजस्थान बीजेपी का कहना है कि यूपी में बिजली-पानी के बिल माफ करने की मांग कर रही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राजस्थान में कांग्रेस सरकार से बिजली-पानी के बिल माफ कराएं.

यही नहीं, क्योंकि लाॅकडाउन के समय के बिजली-पानी के बिल माफ करने की मांग भी लगातार असरदार होती जा रही है, लिहाजा सियासी अवसर देख कर इस मुद्दे पर बीजेपी भी आंदोलन पर उतर आई है और मांग, प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान आदि चला रही है.

लाॅकडाउन के चलते जहां उद्योग-धंधे बंद थे, वहीं कई लोग बेरोजगार भी हो गए हैं, ऐसी हालत में बिजली-पानी के बिल भरना लोगों के लिए संभव नहीं है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पहले तो दो माह के बिल स्थगित कर दिए थे, परन्तु अब कईं माह के हजारों रुपयों के बिल एकसाथ भेज दिए गए हैं.

बिजली के बिलों से परेशान उपभोक्ता विद्युत निगम के कार्यालयों में भी पहुंच रहे हैं, किन्तु वहां भी कोई प्रायोगिक समाधान नहीं निकल पा रहा है.

इतना ही नहीं, प्रदेश में बिजली की सप्लाय भी बार-बार बाधित हो रही है, ऐसे में भारी-भरकम बिजली के बिलों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं!

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