तिथि को लेकर अक्सर लोग परेशान हो जाते हैं क्योंकि एक तो तिथि शुरू होने और समाप्त होने का कोई निश्चित समय नहीं होता है तो दूसरा तिथियों में कमी-बढ़ोतरी होती रहती हैं. कौनसी तिथि मानी जाए, खासकर व्रत-त्योहार को लेकर, इस पर मतैक्य नहीं रहता है! देश में कम-से-कम दो अलग तरह के पंचाग प्रचलन में हैं जिनमें महीने के सापेक्ष एक पक्ष तो कॉमन रहता है लेकिन दूसरे पक्ष का महीना अलग अलग रहता है. एक पंचाग का महीना अमावस समाप्त होने के बाद शुरू होता है तो दूसरे पंचाग का वही महीना पूर्णिमा समाप्त होने के बाद शुरू होता है. तिथियों में, कोई सूर्योदय के समय जो तिथि प्रभावी हो उसे मानता है तो कोई दिनभर में जो तिथि प्रभावी हो उसे मानता है. कौनसी तिथि पर व्रत पूजा की जाए? इसे लेकर विवेक से कार्य करना बेहतर है! प्रदोष जैसे व्रत में, जहां रात्रि के समय का महत्व है, के लिए प्रदोषकाल की प्रभावी तिथि को महत्व दिया जाना चाहिए तो दिन में की जाने वाली पूजा के लिए दिन में प्रभावी तिथि को महत्व देना चाहिए. तिथियों की समय की गणित के चलते कई बार एकादशी व्रत दो दिन तक चलता है. तिथि का मूल उद्देश्य उस व्रत-पूजा काल की गणना के सापेक्ष कार्य करना है इसलिए तिथि को लेकर ज्यादा भ्रम नहीं पालें, सच्चे मन से किए गए व्रत-पूजन में तिथिअंश भी मिल जाए तो व्रत-पूजा सार्थक है! वैसे तिथि निर्धारण में स्थानीय धर्मगुरु और कुल परंपराओं के अनुरूप निर्णय लेना उत्तम रहता है! - आज का राशिफल - निम्न राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम 30:20 तक: मिथुन, सिंह, तुला, *मकर राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र उसके पश्चात - निम्न राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम अगले दिन सूर्योदय तक: मेष, कर्क, कन्या, *कुम्भ राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र * यहां राशिफल चन्द्र के गोचर पर आधारित है, व्यक्तिगत जन्म के ग्रह और अन्य ग्रहों के गोचर के कारण शुभाशुभ परिणामों में कमी-वृद्धि संभव है, इसलिए अच्छे समय का सद्उपयोग करें और खराब समय में सतर्क रहें. - शुक्रवार का चौघडिय़ा - दिन का चौघडिय़ा रात्रि का चौघडिय़ा पहला- चर पहला- रोग दूसरा- लाभ दूसरा- काल तीसरा- अमृत तीसरा- लाभ चौथा- काल चौथा- उद्वेग पांचवां- शुभ पांचवां- शुभ छठा- रोग छठा- अमृत सातवां- उद्वेग सातवां- चर आठवां- चर आठवां- रोग * चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है * दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें. * रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें. * अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है. * यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय पंरपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं. * अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है! पंचांग शुक्रवार, 27 सितंबर 2019 मासिक शिवरात्रि चतुर्दशी श्राद्ध शक सम्वत 1941 विकारी विक्रम सम्वत 2076 काली सम्वत 5121दिन काल 12:00:45 मास आश्विन तिथि त्रयोदशी - 07:33:32 तक, चतुर्दशी - 27:47:57 तक नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी - 25:04:42 तक करण वणिज - 07:33:32 तक, विष्टि - 17:41:57 तक पक्ष कृष्ण योग शुभ - 24:39:27 तक सूर्योदय 06:11:43 सूर्यास्त 18:12:28 चन्द्र राशि सिंह चन्द्रोदय 29:23:59 चन्द्रास्त 17:32:00 दिशा शूल: पश्चिम में राहु काल वास: दक्षिण-पूर्व में नक्षत्र शूल: उत्तर में 25:05 से चन्द्र वास: पूर्व में 30:20तक, दक्षिण में 30:20 से
वृश्चिक, कुम्भ, मीन
वृश्चिक, धनु, मीन
आज का दिन : ज्योतिष की नज़र में
खबर : चर्चा में
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